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रविवार, 6 फ़रवरी 2011

फोरम ऑफ इंटेलेक्चुअल सिटीजंस ऑफ इंडिया द्वारा सम्मलेन आयोजित


4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर ईंट को उठना होगा।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

जहां इंटलेक्चुअल हों, हमारा क्या काम :)
लगता है अब भ्रष्टाचार के खिलाफ़ हर ओर से बिगुल बजने लगा है।

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय

निस्संदेह सामान्य नागरिक के लिए हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं. ईमानदारी को बेवकूफी माना जा रहा है. सरकारें जनता के लिए नहीं बाज़ार की ताकतों के लिए प्रतिबद्ध होती दीखती हैं. पानी अगर सिर से ऊपर जाएगा तो बदलाव की पुकार उठेगी ही.

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@cmpershad

कुछ भी कहिए, लेकिन संयोजक ने एक अच्छी शुरूआत तो की है न!

लोगों , खासकर पढ़ेलिखों ने देश और समाज की वास्तविक समस्याओं पर बोलना छोड़ दिया है. इससे यथास्थितिवाद और अनुत्तरदायित्व की भावना का प्रसार होता है. चुप्पी का बर्फ कुछ तो टूटे .

रही बात आपकी इंटेलेक्चुअलता की, तो हताश न हों, आप नहीं तो आपके प्रतिनिधि वहाँ थे.[कभी कभी ऐसा भी होता है.]

वैसे इस शब्द में ''ईंट ले के चल'' की भी ध्वनि सुनाई पड़ती है!