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बुधवार, 19 जनवरी 2011

प्रेम, कहानी, चमेली और चर्चा


अभी उस दिन डॉ. रेखा शर्मा ने हैदराबाद-दूरदर्शन के हिंदी पत्रिका कार्यक्रम चमेली के लिए बुला भेजा.[यह बात दरकिनार कि बहुतों को इस कार्यक्रम के नामकरण से विचित्र सी फीलिंग आती है.मुझे तो अपने हैदराबाद की दक्खिनी शायरी  की व्यंजना का बोध होता है.] बुलावा आज की कहानी में प्रेम की बदलती अभिव्यंजना पर केंद्रित चर्चा के लिए था.शायद संयोजकों के अचेतन में वसंत पंचमी, वेलेंटाइन डे और होली के मौसम का ख्याल रहा होगा. खैर साहब, खूब भटकाव भरी चर्चा रही. भटके बिना प्रेम की बात हो भी कैसे सकती है. आज की कहानी को  'उसने कहा था' तक का बोझा उठाना ही था, सो उठाया. डॉ.शशांक शुक्ल [संपादक, परमिता] ने ठेठ आज के बढ़िया मुद्दे उठाए. डॉ. शुभदा वांजपे, डॉ. रेखा शर्मा और डॉ.दुर्गेश नंदिनी ने अपनी बातें सप्रमाण रखीं. अपुन ने तीन बिंदुओं पर जोर  दिया - नई पीढ़ी को चाहे जितना केरियरिस्ट दिखाया जाता रहे, प्रेम की चाह और तड़प उसमें भी सदा के जैसी ही है; प्रेम, विवाह  और सहजीवन के त्रिकोण में सहजीवन का कोण कहानीकारों को खास तौर पर उद्वेलित कर रहा है ; और कि प्रेम की दृष्टि से आज का समय बेहद असंवेदनशीलता, असहिष्णुता, अमानुषिकता एवं बर्बरता का समय है जिसमें कट्टरवाद के निशाने पर आया हुआ प्रेम फिलवक्त कहानीकारों की सबसे ज्यादा तवज़्ज़ो चाहता है. प्रोड्यूसर जनाब इम्तियाज़ साहब ने सारी गुफ्तगू का खूब मज़ा लिया और साथ खड़े होकर  निजी कैमरे से यह फोटो भी खिंचवाया.
चित्र : इरफाना फातिमा   

सोमवार, 17 जनवरी 2011

कविता वाचक्नवी के सम्मान में स्नेह मिलन और कवि गोष्ठी संपन्न



कविता वाचक्नवी के सम्मान में स्नेह मिलन और कवि गोष्ठी संपन्न 

हैदराबाद,१३ जनवरी २०११.[प्रेस विज्ञप्ति].



.स्नेह मिलन और कवि गोष्ठी के अवसर पर कवयित्री डॉ.कविता वाचक्नवी को 'विश्वम्भरा ' की ओर से स्मृति-चिह्न प्रदान करते हुए चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद और द्वारका प्रसाद मायछ. साथ में हैं - आर. शांता सुन्दरी,संपत देवी मुरारका, प्रो. बी.सत्यनारायण और प्रो.ऋषभदेव शर्मा.


'साहित्य मंथन' और 'विश्वम्भरा' के तत्वावधान में आज सायं प्रसिद्ध कवयित्री और संस्कृतिकर्मी डॉ. कविता वाचक्नवी के हैदराबाद आगमन पर 'स्नेह मिलन और कविगोष्ठी' का आयोजन किया गया. आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के अनुसंधान अधिकारी प्रो. बी. सत्यनारायण की अध्यक्षता में संपन्न इस समारोह में कवयित्री का सारस्वत सम्मान किया गया. सर्वप्रथम दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने अंगवस्त्र द्वारा मुख्य अतिथि डॉ.वाचक्नवी का स्वागत किया. तदुपरांत 'विश्वम्भरा' के संरक्षकद्वय चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद और द्वारका प्रसाद मायछ ने स्मृति-चिह्न के रूप में नामांकित रजत पट्टिका प्रदान की.


सम्मान-चिह्न प्रदान करते हुए संपत देवी मुरारका. साथ में हैं - आर. शांता सुन्दरी और प्रो. बी.सत्यनारायण.

मित्रों, शुभचिंतकों और प्रशंसकों की ओर से कार्यक्रम की संयोजिका संपत देवी मुरारका ने सम्मानचिह्न और मुक्तामाल भेंट कीं तथा रचनाकारों की ओर से पुस्तकें और लेखन सामग्री प्रदान की गईं. 'आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी', 'उच्च शिक्षा और शोध संस्थान' तथा 'अहल्या' पत्रिका की ओर से भी कवयित्री का सम्मान किया गया. आत्मीय जन के स्नेह और आशीष को अत्यंत संकोच और विनम्रता से स्वीकार करती हुईं कविता जी काफी प्रसन्न दिख रही थीं.



मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ.कविता वाचक्नवी. साथ में हैं - डॉ.बी. बालाजी, प्रो. बी.सत्यनारायण, संपत देवी मुरारका और आर.शांता सुन्दरी.


डॉ. कविता वाचक्नवी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में विस्तार से इन्टरनेट के माध्यम से साहित्य, भाषा और संस्कृति की सेवा के कई गुर बताए और हमेशा की तरह उन लोगों को जी भर कर लताड़ा जो इस शक्तिशाली माध्यम का प्रयोग केवल अपनी छपास मिटाने के लिए करते हैं.

खूब कविताएँ पढी-सुनी गईं.

 काव्य पाठ करते हुए डॉ.कविता वाचक्नवी. साथ में हैं - डॉ.बी. बालाजी, प्रो. बी.सत्यनारायण, संपत देवी मुरारका और आर.शांता सुन्दरी.


अध्यक्षता आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के प्रो. बी. सत्यनारायण ने की.डॉ.राधे श्याम शुक्ल , प्रो. ऋषभ देव शर्मा, डॉ. कविता वाचक्नवी, विशेष अतिथि आर. शांता सुंदरी, संचालक डॉ.बी बालाजी, द्वारका प्रसाद मायछ, चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद, प्रो.माणिक्याम्बा मणि, गोपाल कुमार, राजेश मुरारका, डॉ.बलविंदर कौर, डॉ.गोरखनाथ तिवारी, पवित्रा अग्रवाल , लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, अशोक कुमार तिवारी, सीमा मिश्र, आर. एस. जी राव, डॉ.शशांक शुक्ल, ज्योति नारायण, गोविन्द मिश्र, विनीता शर्मा, डॉ.देवेन्द्र शर्मा, भगवान दास जोपट, तेजराज जैन, संपत देवी मुरारका , आशादेवी सोमाणी, डॉ.प्रभाकर त्रिपाठी, डॉ.श्रीनिवास राव, श्रीनिवास सोमाणी एवं प्रो.किशोरी लाल व्यास ने अपने काव्यपाठ और संबोधन द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया.

शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

कविता वाचक्नवी के वास्ते....

'साहित्य मंथन' और 'विश्वम्भरा' के तत्वावधान में तेरह जनवरी [लोहड़ी] २०११  की साँझ को डॉ. कविता वाचक्नवी के हैदराबाद आगमन पर 'स्नेह मिलन और कविगोष्ठी' का आयोजन किया गया  जो कविता जी के सम्मान समारोह में बदल गया. मित्रों, शुभचिंतकों और प्रशंसकों के आशीर्वाद और अपनेपन को समेटती हुईं कविता जी काफी प्रसन्न दिख रही थीं. उन्होंने विस्तार से इन्टरनेट के माध्यम से साहित्य, भाषा और संस्कृति की सेवा के कई गुर बताए और हमेशा की तरह उन लोगों को जी भर कर लताड़ा जो इस शक्तिशाली माध्यम का प्रयोग केवल अपनी छपास मिटाने के लिए करते हैं. खूब कविताएँ पढी-सुनी गईं. 'आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी', 'उच्च शिक्षा और शोध संस्थान' तथा  'अहल्या' पत्रिका की ओर से भी कवयित्री का सम्मान किया गया. अध्यक्षता आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के प्रो. बी. सत्यनारायण ने की. अनुवादिका शांता सुन्दरी  विशेष अतिथि रहीं. संचालन डॉ. बी. बालाजी ने किया. संयोजन संपत देवी मुरारका और उनके सुपुत्र राजेश मुरारका ने सँभाला.

चित्र : राजेश मुरारका. और गोपाल कुमार   

रविवार, 9 जनवरी 2011

विजयवाडा में दूरस्थ शिक्षा का संपर्क कार्यक्रम आयोजित


विजयवाडा, 09.01.2011 (प्रेस विज्ञप्ति)

दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा द्वारा संचालित दूरस्थ षिक्षा निदेषालय के अंतर्गत एम.ए. हिन्दी पाठ्यक्रम के आन्ध्रप्रदेष के अध्येताओं के निमित्त व्याख्यानमाला सह संपर्क कार्यक्रम  का उद्घाटन आज यहाँ वरिष्ठ हिन्दी सेवी श्री काज वेंकटेष्वर राव ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे काजाजी ने इस अवसर पर कहा कि दूरस्थ माध्यम का प्रयोग करके दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, हिन्दी की उच्च स्तरीय षिक्षा को घर-घर पहुँचाने का जो कार्य कर रही है वह गाँधीजी के हिन्दी प्रचार आंदोलन का ही आधुनिक विस्तार है।

सहायक निदेषक डॉ. पेरिषेट्टि श्रीनिवासराव ने संपर्क कार्यक्रम की उपादेयता पर प्रकाष डालते हुए सभा के नवीनतम दूरस्थ माध्यम के पाठ्यक्रमों एम.ए. एजुकेषन, एम.फिल., पीएचडी एजुकेषन, एम.बी.ए. (ई.एम.), बी.काम., बी.बी.ए., बी.सी.ए., पीजीडीसीए, डी.सीए., और पैरामेडिकल कोर्स की जानकारी दी। डॉ. बोडेपूडि वेंकटेष्वर राव, डॉ. जी. नागेष्वर राव तथा श्री प्रसाद जी ने भी अपने विचार प्रकट किए।

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि दूरस्थ माध्यम आज की दुनिया में सतत् षिक्षा का सर्वोत्कृष्ट आधार है। उन्होंने षिक्षा के मौलिक अधिकार को साकार रूप देने के लिए इसे जनतांत्रिक माध्यम बताते हुए इसमें मल्टीमीडिया के कारगर इस्तेमाल की भी चर्चा की।
सप्ताह भर के इस संपर्क कार्यक्रम को उच्च षिक्षा और शोध संस्थान, नागार्जुन विष्व विद्यालय एवं आन्ध्र विष्वविद्यालय के आचार्यगण विषेषज्ञ के रूप में संबोधित करेंगे। कार्यक्रम में आन्ध्रप्रदेष के विभिन्न अंचलों के सत्तर (70) छात्र प्रतिभागी सम्मिलित हैं।

आन्ध्र सभा के शाखा व्यवस्थापक श्री वी. अजयकुमार ने समारोह का संचालन किया। धन्यवाद राघवेंद्रराव ने ज्ञापित किया।
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चित्र परिचय: 
1. दूरस्थ षिक्षा संपर्क कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर बायें से वी. अजय कुमार, प्रसाद,  डॉ. जी. नागेष्वर, डॉ. ऋषभ देव शर्मा, काज वेंकटेष्वर राव (बोलते हुए) तथा डॉ. पी. श्रीनिवास राव
2. प्रतिभागी छात्र