साहित्य : सृजन और समीक्षा
वैश्विक राजनीति ने हिन्दी को पनपने नहीं दिया, अब बढ़ना है।
हिंदी तो टकसाली भाषा है॥
प्रणाम सर.इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंदी को उसकी सरलता और लचीलेपन ने उसे विश्व स्तर की भाषा बनाया है.राजनीति अपनी जगह है तो जनमत अपनी जगह. जनता हिंदी के पक्ष में है.
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वैश्विक राजनीति ने हिन्दी को पनपने नहीं दिया, अब बढ़ना है।
हिंदी तो टकसाली भाषा है॥
प्रणाम सर.
इसमें कोई दो राय नहीं कि हिंदी को उसकी सरलता और लचीलेपन ने उसे विश्व स्तर की भाषा बनाया है.
राजनीति अपनी जगह है तो जनमत अपनी जगह. जनता हिंदी के पक्ष में है.
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