साहित्य : सृजन और समीक्षा
अब हिन्दी उतार कम और चढ़ाव अधिक देखेगी।
भाषा के प्रति उम्मीद जगाता लेख। जनभाषा है और जनता के माध्यम से ही इसे उर्जा मिलेगी। सरकारी बैसाखी निकल जाए तो शायद और समृद्ध हो! यदि सरकार चाहे तो कमाल अतातुर्क की तरह कल से ही कार्यान्वित हो सकती है।
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अब हिन्दी उतार कम और चढ़ाव अधिक देखेगी।
भाषा के प्रति उम्मीद जगाता लेख। जनभाषा है और जनता के माध्यम से ही इसे उर्जा मिलेगी। सरकारी बैसाखी निकल जाए तो शायद और समृद्ध हो! यदि सरकार चाहे तो कमाल अतातुर्क की तरह कल से ही कार्यान्वित हो सकती है।
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