साहित्य : सृजन और समीक्षा
इस्लामिक व इसाई धर्म के दृष्टांत देकर सर्वधर्म समभाव का उदाहरण दिया है आपने। काश! हमारे नेताओं तक यह संदेश जाता कि एकता के लिए हिंदी का प्रचार ज़रूरी है तो शायद राष्ट्रभाषा को उसका उचित स्थान कब का मिल चुका होता। ठीक है, प्रयास तो जारी रहेगा॥
@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद वेबल की मीनार का किस्सा तो मैंने पहले भी सुनाया है यह बताने के लिए कि निर्माण और संप्रेषणीयता मेंसमानुपातिक संबंध है.
इस दिशा में ब्लॉग का योगदान बड़ा होने वाला है।
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इस्लामिक व इसाई धर्म के दृष्टांत देकर सर्वधर्म समभाव का उदाहरण दिया है आपने। काश! हमारे नेताओं तक यह संदेश जाता कि एकता के लिए हिंदी का प्रचार ज़रूरी है तो शायद राष्ट्रभाषा को उसका उचित स्थान कब का मिल चुका होता। ठीक है, प्रयास तो जारी रहेगा॥
@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
वेबल की मीनार का किस्सा तो मैंने पहले भी सुनाया है यह बताने के लिए कि निर्माण और संप्रेषणीयता में
समानुपातिक संबंध है.
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