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रविवार, 2 जून 2013

लालित्य में लिपटा इतिहास

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई के पूर्व वैज्ञानिक और भारतीय राजस्व सेवा, नई दिल्ली में आयकर आयुक्त गोपाल कमल विज्ञान, दर्शन और इतिहास के मर्मज्ञ विद्वान हैं. भारतीय संस्कृति उनका विशेष रुचि क्षेत्र है. ‘हिंद महासागर का सांस्कृतिक इतिहास’ (2012) में उन्होंने सांस्कृतिक दृष्टि से हिंद महासागर की अंतर्यात्रा का ब्यौरा दिया है. यह ग्रंथ दक्षिण पूर्व एशिया, हिंदुस्तान और हिंद महासागर के सांस्कृतिक इतिहास और नैतिक भूगोल को अत्यंत रोचक, काव्यात्मक, कथारस से परिपूर्ण और ललित शैली में प्रस्तुत करता है. दक्षिण पूर्व एशिया और  भारत के लगभग चार हजार वर्ष पुराने संबंधों को यहाँ फिर फिर इसलिए खंगाला गया है कि इन देशों के भावी संबंधों को सुदृढ़ पीठिका प्राप्त हो सके.
हिंद महासागर के देशों की भौगोलिक एकरूपता को भी सामने लाने वाली यह इतिहास-कृति विविध प्रकार की शोध सामग्री पर आधारित, अतः ठोस और प्रामाणिक, है लेखक की यह चिंता अत्यंत प्रासंगिक है कि स्वतंत्रता आंदोलन तक के इतिहास लेखन में भारतीयपन की उपेक्षा की प्रवृत्ति बढ़ रही है. इसीलिए स्थानीयता और हाशियाकृत समुदायों को केंद्र में लाने का प्रयास करने वाली यह कृति भारतीयपन को निरंतर अग्रप्रस्तुत करती चलती है.
सर्वथा मौलिक शैली में लिखित यह सांस्कृतिक इतिहास दस खंडों में विभाजित है. जैसे – मौनसून उपनिषद, मैंने पूछा, इतिहास लिखूंगा, अंकोर के आसपास, डूबंत जहाज़ों का इतिहास, शून्य जहाजी, मौनसून प्रेडिक्शन नदियाँ, कहानी मौनसून दे....व, सागर से ऐसी क्या दूरी, आग्नेय एशिया हिंदुस्तान नैतिक भूगोल और चौहद्दी.
गोपाल कमल संस्कार से कवि हैं. इतिहास की यात्रा भी वे कविता के साथ करते हैं. कोलंबस का दिशा काक उन्हें वेदों के दवा सुपर्णा की याद दिलाता है तो मौनसून के मिजाज की बात करते समय उन्हें कालिदास और साधु साध्वियों के चातुर्मास याद आते हैं. यानि शुद्ध इतिहास की खोज करने चलें तो यहाँ सब कुछ गड्डमड्ड प्रतीत हो सकता है, लेकिन लालित्य में इतिहास रस के खोजी निराश नहीं होंगे. उन्हें ऐसे प्रश्नों के उत्तर यहाँ मिलेंगे जैसे –
“डूबना डोंगी का
तट का
जहाजी, नमाजी का
आनेवाले कल का
बीत गए माजी का
बहते उनचास पवन
बहतीं नदियाँ पुननुन 
भादों में भरी-पूरी
डूबी कैसे डोंगी?”
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हिंद महासागर का सांस्कृतिक इतिहास, 
लेखक – गोपाल कमल, 2012, 
प्रकाशक – राजकमल प्रकाशन, 
1-बी, नेताजी सुभाष  मार्ग, 
नई दिल्ली – 110002, 
पृष्ठ – 448, 
मूल्य–700
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                                                                                                - भास्वर भारत - नवंबर 2012- पृष्ठ 53.

2 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

स्वागत है!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचक दृष्टिकोण, नयेपन से भरा।