फ़ॉलोअर

सोमवार, 31 अगस्त 2009

राजभाषा पत्रकारिता पर व्याख्यान संपन्न



हैदराबाद, 31.08.2009।


भारतीय भाषा संस्कृति संस्थान के तत्वावधान में आज यहाँ होटल टाइम स्क्वायर के कांफ्रेंस हॉल में त्रिदिवसीय अखिल भारतीय राजभाषा पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन संपन्न हुआ। संस्थान के संयोजक संचालक गोवर्धन ठाकुर ने प्रारंभिक वक्तव्य में राजभाषा कर्मियों के समक्ष उपस्थित 21वीं शती की चुनौतियों पर चर्चा की तथा राजभाषा पत्रकारिता के दायित्वों पर प्रकाश डाला। प्रशिक्षण कार्यशाला में देश के विभिन्न अंचलों से विभिन्न सरकारी संगठनों और बैंकों से प्रधारे अधिकारी प्रतिभागी के रूप में उपस्थित रहे।


प्रथम सत्र में अतिथि वक्ता के रूप में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने 'राजभाषा पत्रकारिता का वैशिष्ट्य' विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने राजभाषा विषयक संवैधानिक व्यवस्था का विवेचन करते हुए राजभाषा पत्रकारिता के मुख्य और गौण क्षेत्रों की पहचान बताई और कहा कि केवल आंतरिक वितरण के लिए छापी गई पत्रिका ही नहीं व्यापक प्रसार के लिए प्रकाशित किए गए बुलेटिन, ब्रोशर और पैंफलेट भी राजभाषा पत्रकारिता के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने कहा कि राजभाषा पत्रकारिता सही अर्थों में सामासिक अखिल भारतीय हिंदी का सृजन करने में समर्थ है। उन्होंने आगे कहा कि राजभाषा पत्रकारिता न तो मिशन है और न व्यवसाय। बल्कि यह एक ओर हिंदी भाषा विषयक नियमों के क्रियान्वयन का अंग है तो दूसरी ओर संबंधित उद्यम को लाभकारिता उन्मुख बनाने का माध्यम है, इसके द्वारा तकनीकी लेखन के क्षेत्र में हिंदी के अनुप्रयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है। डॉ. शर्मा ने राजभाषा पत्रकारिता की सीमाओं पर चर्चा की और कहा कि सरकारी नीतियों पर खुले विमर्श के अभाव के कारण इसमें एकांगिता का खतरा बना रहता है।

2 टिप्‍पणियां:

Dr Parveen Chopra ने कहा…

आगे भी बताते रहिये की इस कार्यशाला में क्या क्या हुआ ? हम इंतज़ार कर रहे हैं।

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

राजभाषा और राष्ट्रभाषा को उचित दर्जा दिलाने के लिए ऐसी कार्यशालों के माध्यम से जागरूकता लाई जा सकती है।