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गुरुवार, 6 अगस्त 2009

कोण

5 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

कुछ दिखाई नहीं देता, सरजी????

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

देख लिया। लगता है ‘वक्रोक्ति’ को चित्र सूपरिम्पोज़ करने का शौक हो गया है। अच्छा चित्रण- बधाई॥

ऋषभ ने कहा…

सी एम साहब, प्ले को क्लिक करेंगे तभी कुछ दीखेगा न.

Kamal ने कहा…

adarniy rishabh dev ji,
aapki bahumukhi pratibha ko naman |
sahitya ki sabhi vidhaon par aapka saman adhikar hai,| bhavishya mein sahitya-kosh ko aapse badi
aashayen hain |
kamal

HOMNIDHI SHARMA ने कहा…

आपके 'वर्ना....'के डर से करीब से देख लिया बन्‍धु. श्‍वेत-श्‍याम का संगम बड़ा खूबसूरत है. इरादे तो नेक हैं ना? शायद इसके लिये पूर्वानुमोदन प्राप्‍त है.

वैसे आपकी तरह पूरा ब्‍लाग हिन्‍दी में खूबसूरत और व्‍यवस्‍थित है. आपके व्‍यक्‍तित्‍व की अनुकृति लगता है आपका यह ब्‍लाग. अनुकरणीय. बधाई, बहुत-बहुत बधाई. यह प्रयास औरों के लिये भी ब्‍लाग तैयार करने के कार्य की दिशा भी खोलता है.

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