आवाज़ एक - वह चिम्पैंजी था.
आवाज़ दो - वह हिजड़ा था.
आवाज़ तीन - वह लंपट था.
आवाज़ चार - वह बहुगामी था.
आवाज़ पाँच - वह अवैध संतान का पिता था.
आवाज़ छह - वह अंग्रेजों का जासूस था.
आवाज़ सात- वह सीआईए का एजेंट था.
आवाज़ आठ - वह अमौलिक था.
आवाज़ नौ - वह कुंठित था.
दसवीं आवाज़ आकाश से आई - वह शब्द था
आकाश था
सृष्टि था
अज्ञेय था.
आवाज़ दो - वह हिजड़ा था.
आवाज़ तीन - वह लंपट था.
आवाज़ चार - वह बहुगामी था.
आवाज़ पाँच - वह अवैध संतान का पिता था.
आवाज़ छह - वह अंग्रेजों का जासूस था.
आवाज़ सात- वह सीआईए का एजेंट था.
आवाज़ आठ - वह अमौलिक था.
आवाज़ नौ - वह कुंठित था.
दसवीं आवाज़ आकाश से आई - वह शब्द था
आकाश था
सृष्टि था
अज्ञेय था.
2 टिप्पणियां:
छायावाद की छाया,
मन में मन भरमाया।
व्यक्ति एक, व्यक्तित्व अनेक... तभी तो अज्ञेय था :)
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