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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

उत्तरआधुनिकता पर पोस्टर प्रदर्शनी

उच्च शिक्षा और शोध संस्थान में उत्तरआधुनिकता पर केंद्रित पोस्टर प्रदर्शनी

हैदराबाद, 25 अप्रैल।

उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित परिसर में एक विशिष्ट विषय केंद्रित ‘‘शोधप्रबंध एवं पोस्टर प्रदर्शनी’’ का आयोजन किया गया है। प्रदर्शनी का उद्घाटन शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर के प्रो. अर्जुन चव्हाण, केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रो. हेमराज मीणा तथा उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के कुलसचिव प्रो. दिलीप सिंह ने किया। इस प्रदर्शनी का केंद्रीय विषय है - ‘‘उत्तरआधुनिक विमर्श और हिंदी अनुसंधान।’’

प्रदर्शनी के प्रथम खंड में 42 पोस्टरों के माध्यम से उत्तरआधुनिक विमर्श के विभिन्न पहलुओं को सूत्रात्मक शैली में समझाने का प्रयास किया गया है। इन पोस्टरों की विषयवस्तु में उत्तरआधुनिकता के लक्षण, प्रमुख उत्तरआधुनिक विमर्शक, उत्तरआधुनिकता के सात झटके, विखंडन की सिद्धांतिकी, स्त्रीलेखन, स्त्रीविमर्श , स्त्रीभाषा, अनुपस्थित की उपस्थिति, भूमंडलीकरण और स्थानीयता, आधुनिकता और उत्तरआधुनिकता का संबंध, दलितविमर्श , मीडियाविमर्श और भाषाविमर्श जैसे शीर्षक सम्मिलित हैं।

इन पोस्टरों को संस्थान के प्राध्यापकों के निर्देशन में छात्रों और शोधार्थियों ने तैयार किया है। चंदन कुमारी, प्रतिभाकुमारी, निधि कुमारी, श्रद्धा तिवारी, कैलाश वती, सी.एस. सिस्ना, एस. वंदना, जया भारती, मोनिका देवी, निम्मी अप्पल नायुडु, भगवान गायकवाड, अनुराधा जैन और गायत्री आर्य के बनाए पोस्टरों को आगंतुकों ने विषेष रूप से सराहा।

प्रदर्शनी के दूसरे खंड में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के हैदराबाद केंद्र में अब तक संपन्न लगभग 300 शोध कार्यों में से चुनकर डी.लिट., पीएच.डी. और एम.फिल. के कुछ शोध प्रबंधों को प्रदर्शित किया गया है। इस खंड में लोकतात्विक अध्ययन, भाषावैज्ञानिक अध्ययन, राजभाषा अध्ययन, हिंदी शिक्षण अध्ययन, शैली अध्ययन, अनुवाद अध्ययन, तुलनात्मक अध्ययन और काव्य तथा गद्य की विविध विधाओं से संबंधित अध्ययन पर केंद्रित शोधप्रबंध रखे गए हैं।

प्रो. एम.वेंकटेश्वर, प्रो.टी. मोहन सिंह, डॉ. अहिल्या मिश्र, डॉ. प्रभाकर त्रिपाठी, डॉ. किशोरी लाल व्यास, शशिनारायण स्वाधीन, भगवान दास जोपट, विनीता शर्मा और डॉ. देवेंद्र शर्मा आदि गणमान्य अतिथियों सहित लगभग 200 आगंतुकों ने इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया और यह इच्छा प्रकट की कि इसे कुछ समय तक शोधार्थियों, शोधनिर्देशकों और जिज्ञासु साहित्यप्रेमियों के लिए खुला रखा जाए। इस आग्रह को ध्यान में रखते हुए यह प्रदर्शनी 01 मई, 2010 तक प्रतिदिन 10 बजे से 5 बजे तक दर्शनार्थियों के लिए खुली रहेगी।

2 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

आपके इस जानकारी आधारित बिचारोत्तेजक रचना के लिए आपका धन्यवाद / ब्लॉग के जरिये दी गयी जानकारी कभी-कभी कई लोगों में जागरूकता और असरदर सूचना का काम करती है / इसकी सार्थकता और विश्वसनीयता को बनाये रखें / ब्लॉग हम सब के सार्थक सोच और ईमानदारी भरे प्रयास से ही एक सशक्त सामानांतर मिडिया के रूप में स्थापित हो सकता है और इस देश को भ्रष्ट और लूटेरों से बचा सकता है /आशा है आप अपनी ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास जरूर करेंगे /हम आपको अपने इस पोस्ट http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html पर देश हित में १०० शब्दों में अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव रखने के लिए आमंत्रित करते हैं / उम्दा विचारों को हमने सम्मानित करने की व्यवस्था भी कर रखा है / पिछले हफ्ते अजित गुप्ता जी उम्दा विचारों के लिए सम्मानित की गयी हैं /

hindi-nikash.blogspot.com ने कहा…

bahut achchha laga.... par ek sawaal hai-! abhi jab hum poori tarah se adhunik hi nahin ho paaye hain tab uttar adhuniktaa kitnee praasangik hai-??????