गत दिनों हमने अपने यहाँ [उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद में] भारतीय काव्यशास्त्र पर त्रिदिवसीय व्याख्यानमाला आयोजित की थी. इस अवसर पर प्रो. जगदीश प्रसाद डिमरी जी ने अपने छह घंटे से अधिक के संबोधन में भारतीय काव्यशास्त्र की परंपरा को उजागर करते हुए विभिन्न विचारधाराओं की मूलभूत स्थापनाओं की सुबोध व्याख्या की.
मित्रों और छात्रों के आग्रह पर तीनो दिन की ऑडियो रिकॉर्डिंग के लिंक यहाँ दे रहा हूँ ताकि ज़रूरतमंदों के काम आ सके.....
2 टिप्पणियां:
आराम से सुनेंगे।
@प्रवीण पाण्डेय
प्रिय भाई ,
यह सामग्री है ही आराम से सुनने के वास्ते.
दरअसल काफी समय से सोचता रहा हूँ कि मेरे ब्लॉग का कुछ उपयोग छतों के लिए भी हो सके. बस यह उसी दिशा में एक प्रयास है.
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