'साहित्य के समाजभाषिक अध्ययन की शोध प्रविधि' पर व्याख्यान संपन्न.
हैदराबाद, २६.०८.२०११
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में आज यहाँ `विश्वंभरा' संस्था की महासचिव डॉ.कविता वाचक्नवी ने `साहित्य के समाजभाषिक अध्ययन की शोध प्रविधि' विषय पर विशेष व्याख्यान दिया. लंदन से संक्षिप्त यात्रा पर हैदराबाद आई हुईं कवयित्री डॉ.वाचक्नवी ने एम.फिल. के शोधार्थियों को संबोधित करते हुए अपने व्याख्यान में समाज-भाषाविज्ञान और साहित्यिक अनुसंधान को जोड़ने पर बल दिया. उन्होंने कहा कि समाजभाषिक अनुसंधान के द्वारा किसी भी साहित्यिक कृति के मर्म तक पहुँचा जा सकता है और उसके पाठ में निहित सामाजिक, सांस्कृतिक, लोकतात्विक तथा वैचारिक पक्षों का खुलासा किया जा सकता है. उन्होंने रंग-शब्दावली के माध्यम से निराला के काव्य के पाठ-विश्लेषण के उदाहरण द्वारा इस प्रकार के शोध की प्रविधि की व्याख्या की.
आरंभ में डॉ.जी.नीरजा ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया. अध्यक्षीय उदबोधन में प्रो.ऋषभदेव शर्मा ने साहित्य के समाजभाषिक अध्ययन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला. चर्चा सत्र में मुख्य वक्ता ने शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया. संयोजन डॉ.मृत्युंजय सिंह ने किया तथा अंत में डॉ.गोरखनाथ तिवारी ने धन्यवाद प्रकट किया.
चित्र परिचय
5 टिप्पणियां:
एक सार्थक प्रयास हिन्दी को शोध में प्रस्थापित करने के लिये।
काश! हम भी आने की स्थिति में होते :(
कविताजी का गहन अध्यन उनके विचारों को सुगमता से प्रस्तुत करता है
रोचक,वभावुक व आत्मीय अनुभव था।
आपका व PG & Research Institute, DBHPS के सभी अध्यापकों व छात्रों का अतिशय धन्यवाद।
नमस्ते सर, आप की रचनाएँ पढ़ने का अवसर अब इंटरनेट पर भी पढ़ने का मुझे प्राप्त होगा मैंने कभी नहीं सोचा था।
सधन्यवाद!
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