!! पहले दिन का दूसरा व्याख्यान ...... ताकि अपने छात्रों के काम आ सके !!
16/17 मई 2013 को कर्नाटक विश्वविद्यालय [धारवाड] के हिंदी विभाग में विशेष व्याख्यानमाला के
अंतर्गत 'संरचनावाद', 'उत्तर संरचनावाद', 'आधुनिकता' और 'उत्तर आधुनिकता' पर
डॉ. ऋषभ देव शर्मा (प्रोफ़ेसर और अध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान,
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद) के 4 व्याख्यान हुए.
प्रस्तुत है उनमें से दूसरा व्याख्यान - "संरचनावाद -2".
1 टिप्पणी:
एक बैठक में पूरा सुना, रविवार आज भाग्यशाली रहा। रचना तो मन में पूरी बन जाती है, मोटी मोटी, बस अन्तर्सम्बन्धों को स्पष्ट करने में प्रयास लगता है, विस्तार होता है। विचारों का स्वरूप बादल सा होता है, अभिव्यक्ति बूँद के समान होती है और उसे समझना पुनः वाष्प जैसा। वही जल बार बार नये रूप में बरसता है, कभी इस नदी में, कभी उस नदी में, मिलता तो सागर में ही है।
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