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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

अहिल्या जी के प्रति कृतज्ञता सहित





हर महीने तीसरा रविवार कादम्बिनी क्लब-हैदराबाद  की बैठक के लिए होता है. संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र इतने अधिकार से बुलाती हैं कि छुट्टी के दिन सोने की इच्छा के बावजूद आप इनकार नहीं कर सकते. गत रविवार 19 फ़रवरी को भी ऐसा ही हुआ और ग्यारह बजे से साढ़े तीन बजे तक उनके रहमोकरम पर गुज़ारने पड़े. खूब मज़े में. वैसे भी जब आप अध्यक्षता कर रहे हों तो बोलने का भरपूर मौका मिलता ही है. ऊपर से वसंत और होली से जुडी कविताएं! मुझे अहिल्या जी के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए.

8 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इस तरह के मासिक मानसिक जुड़ाव साहित्यिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक हैं..

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आप इतवार को नींद से वंचित रहे और हम रोज़ इतवारियत मना रहे हैं सर जी :)

संपत देवी मुरारका ने कहा…

आ. ऋषभदेव जी,
आपके आने से हमारा मनोबल बढ़ता है | आपके विचारों को सुनने का मौका हमें मिलता है | अच्छा लगता है |

Vinita Sharma ने कहा…

ऐसे अपरिभाषित आनंद के अवसर कम आते है इसकी संख्या बढाने में सहयोग कीजिए

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

प्रिय भाई प्रवीण पाण्डेय जी,
सच कहा आपने. जुडाव बेहद ज़रूरी है मानसिक स्वास्थ्य के लिए. बिखराव हुआ तो मन भी बिखर जाता है न.

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद

आपकी इतवारियत तो हमें मजबूरी में बर्दाश्त करनी पड़ रही है. इतनी दूर से इतनी भीड़भाड में आने के लिए हम आप पर दबाव नहीं डालते तो यह हमारी भलमनसाहत है.

अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखिए.

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@संपत देवी मुरारका

आना तो मैं भी हर बार और हर जगह चाहता हूँ लेकिन हो नहीं पाटा; इसलिए जब कभी ऐसे मौके मिल जाते हैं तो आगे पीछे की सारी कसार निकाल लेता हूँ. जानता हूँ आप सब भले लोग हैं , मेरी ढेरों कविताएं झेल जाते हैं.

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@ Vinita Sharma

एवमस्तु!!!