मुंबई के हमारे मित्र डॉ. प्रदीप कुमार सिंह धुन के बड़े पक्के हैं. पिछले साल 'राम साहित्य' पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की थी उन्होंने साठये कॉलेज में; तभी संकल्प किया एक और वैसी ही संगोष्ठी का. और अभी 10-11 फरवरी 2012 को उसे साकार भी कर डाला. अभिनंदन!
अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति मंत्रालय, उत्तर प्रदेश के सौजन्य से साठये कॉलेज, मुंबई में आयोजित ''भारतीय साहित्य : राम साहित्य से जुड़े कला संदर्भ'' शीर्षक इस द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन संस्कार समूह के अध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार पित्ती ने किया. विशेष अतिथि रहीं लिथुआनिया की क्रिस्टीना डोलोनीना. महाराष्ट्र भर के अनेक विद्वानों, प्राध्यापकों और शोधार्थियों के अलावा अमृतसर, इलाहाबाद,चेन्नई, तिरुवनंतपुरम , अहमदाबाद, अयोध्या, लखनऊ, वाराणसी, शिमला, तिरुपति, उज्जैन, दिल्ली, धारवाड, मिजोरम, चंडीगढ़, रोहतक, खंडवा, सूरत, हजारीबाग, बरेली और हैदराबाद से आए विद्वानों-विदुषियों ने विषय के विविध आयामों को प्रकाशित किया. दक्षिण कोरिया के डॉ. को जोंग किम भी पधारे और रूस में हिंदी अधिकारी रह चुकीं डॉ.जोगेश कौर भी आईं.
अलग अलग सत्रों में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई उनमें शामिल रहे - भारतीय संस्कृति में राम, राम की कलाओं का अंतर्संबंध, भारतीय संस्कृति और राम साहित्य, भारतीय संस्कृति और चित्रकलाओं में राम साहित्य , भारतीय संस्कृति और मूर्ति व स्थापत्य कलाओं में राम साहित्य, भारतीय संस्कृति और नृत्य कलाओं में राम साहित्य, भारतीय संसृति और संगीत कलाओं में राम साहित्य, भारतीय संस्कृति और लोकनाट्य व रामलीला में राम, भारतीय कलाओं में रामचरित.
पहले दिन की सांझ नाटक, संगीत और नृत्य के नाम रही . खास तौर पर क्रिस्टीना डोलोनीना के कत्थक नृत्य और डॉ. मीनाक्षी के भरतनाट्यम ने मन मोह लिया. रामचरित संदर्भित विभिन्न भाषाओँ के लोकगीतों ने श्रोताओं कों द्रवित कर दिया तो मुजीब खान के निर्देशन में आइडियल ड्रामा इंटरनेशनल एकाडेमी की नाट्य प्रस्तुति 'प्रेमचंद की रामलीला' भी प्रेक्षकों के लिए रोमांचकारी रही.
अंत में यह कन्फेशन कि सयोजक के कहे अनुसार ''भारतीय चित्रकला में राम'' पर अपुन ने जो परचा वहाँ पढ़ा और प्रशंसा बटोरी, उसका पूरा पूरा श्रेय अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाओं के मर्मज्ञ संग्राहक चित्रकार पद्मश्री जगदीश मित्तल जी को जाता है जिनसे प्राप्त जानकारी और दिशानिर्देश के आधार पर ही वह परचा लिखा जा सका.
और हाँ, जनाब प्रदीप जी ने सितंबर 2012 में एक और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का संकल्प आज सवेरे ही फोन करके व्यक्त किया है, इस आदेश के साथ कि अभी से तैयारी शुरू कर दीजिए . मैंने उनके जीवट को प्रणाम किया और सलाह दी- भले आदमी, कुछ देर तो आराम कर लिया करो. उत्तर मिला- राम काज कीन्हे बिना मोहि कहाँ विश्राम!
4 टिप्पणियां:
सुन्दर सफल आयोजन की बधाईयाँ...
बढिया रिपोर्ट और बढिया चित्र के लिए आभार॥
संक्षिप्त रिपोर्ट और चित्रों का अद्भुत संयोजन।
राम काज से हमें भी इस रूप जोड़ने के लिए आभार।
इस कार्य में यदि इस गिलहरी की कोई सहायता की आवश्यकता हो तो आदेश दीजिए। किसी भी रूप में इससे जुड़कर खुशी होगी।
संक्षिप्त रिपोर्ट और चित्रों का अद्भुत संयोजन।
राम काज से हमें भी इस रूप जोड़ने के लिए आभार।
इस कार्य में यदि इस गिलहरी की कोई सहायता की आवश्यकता हो तो आदेश दीजिए। किसी भी रूप में इससे जुड़कर खुशी होगी।
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