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मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक पुरस्कार समारोह संपन्न


दाएँ से - प्रो. हरिनारायण शर्मा, डॉ. हरिश्चंद्र विद्यार्थी, मोदलि नागभूषण शर्मा, पुल्लेल श्रीरामचंद्रुडु, पोत्तूरि वेंकटेश्वर  राव,
 विद्यानाथ शास्त्री और डॉ. पेरिशेट्टी  श्रीनिवास राव 

वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक पुरस्कार समारोह संपन्न

हैदराबाद, 17अक्तूबर, 2010 .

प्रतिष्ठित हिंदी सेवी स्व. वेमूरि आंजनेय शर्मा के 94वें जयंती समारोह के अवसर पर श्री वेमूरि आंजनेय शर्मा स्मारक ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2010 के स्मारक पुरस्कार प्रदान किए गए। जयंती एवं पुरस्कार समारोह यहाँ रवींद्र भारती में प्रबंधक न्यासी प्रो. वेमूरि हरिनारायण शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ तेलुगु पत्रकार पोत्तूरि वेंकटे
श्वर 
राव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। 

स्मरणीय है कि ट्रस्ट द्वारा प्रति वर्ष तेलुगु साहित्य, हिंदी साहित्य और अभिनय जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए दस-दस हजार रुपये के तीन नकद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाते हैं। इस वर्ष तेलुगु साहित्य के लिए यह पुरस्कार 83 वर्षीय वरिष्ठ साहित्यकार महामहोपाध्याय डॉ. पुल्लेल श्रीरामचंद्रुडु को प्रदान किया गया, जिन्होंने तेलुगु तथा संस्कृत साहित्य को अपनी मौलिक तथा अनूदित रचनाओं से सुसंपन्न किया है 
। 
हिंदी साहित्य के लिए इस वर्ष ‘राष्ट्र नायक’ पत्रिका के संपादक 75 वर्षीय डॉ. 
हरिश्चंद्र
 विद्यार्थी को हैदराबाद में हिंदी भाषा, साहित्य और पत्रकारिता के उन्नयन के लिए दिया गया। इसी प्रकार प्रसिद्ध तेलुगु रंगकर्मी 75 वर्षीय डॉ. मोदलि नागभूषण शर्मा को अभिनय जगत में योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। इसके अतिरिक्त न्यास की ओर से विभिन्न छात्र-छात्राओं को 'प्रतिभा 
पुर
स्कार' और ‘सरस्वती पुरस्कार’ भी वितरित किए गए। 

आरंभ में मुख्य अतिथि पोत्तूरि वेंकटेश्वर राव ने मट्टपर्ति वीरांजनेयुलु द्वारा चित्रित वेमूरि आंजनेय शर्मा के विशाल तैलचित्र को लोकार्पित किया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए पोत्तूरि 
वेंकटेश्वर 
राव ने कहा कि वेमूरि आंजनेय शर्मा ने अपना पूरा जीवन हिंदी की सेवा और भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय के कार्य के लिए समर्पित कर दिया,  अतः वे सही अर्थों में दक्षिण और उत्तर के सामाजिक-सांस्कृतिक सेतु के निर्माता थे। डॉ. पोत्तूरि ने आंजनेय शर्मा जी द्वारा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के माध्यम से राष्ट्रीय अखंडता  और सामासिक संस्कृति के संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों का स्मरण करते हुए उन्हें नई पीढ़ी के लिए अनुकरणीय और आदर्श बताया। 

पुरस्कृत विद्वानों को समर्पित किए गए प्रशस्ति पत्रों का वाचन विद्यानाथ शास्त्री, कृष्णमूर्ति और ज्योत्स्ना कुमारी ने किया। समारोह का संचालन डॉ. 
पेरिशेट्टी 
श्रीनिवास राव ने किया। 

4 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आंजनेय शर्मा जी की संतति को नमन कि उन्होंने अपने पिता का नाम साहित्य जगत को याद दिलाए अपने इस कार्यक्रम के माध्यम से।

arpanadipti ने कहा…

बढ़िया जानकारी देने के लिए धन्यवाद

विवेक सिंह ने कहा…

जय हिन्द ! जय हिन्दी !

Kavita Vachaknavee ने कहा…

सभी सम्मानितों को हार्दिक बधाई.

हरिश्चन्द्र विद्यार्थी जी को बहुत पहले
सम्मानित किया जाना चाहिए था. अच्छा लगा कि हैदराबाद की इस नई संस्था ने ही अंततः उन्हें ध्यान में रखा; जबकि कई पुरानी संस्थाएँ और व्यक्ति अपने गौरवगान में नित ही वहाँ निमग्न रहते चले आए हैं. ऐसे में चुपचाप कार्य करने की यह प्रथा बड़े सकारात्मक उद्देश्य लेकर चलने की प्रेरणापुंज बने.

ज्योत्स्ना जी को व्यक्तिगत रूप से इस चयन के लिए मेरी हार्दिक बधाई.

वेमूरि जी के प्रति पुनः श्रद्धांजलि.
उनके संपर्क में रहने का मुझे सुयोग मिला, यह भी नया भावबोध भरता है. उनके बच्चों ने अपने पिता को सही मायनों में अमर कर दिया है.

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