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गुरुवार, 21 अक्टूबर 2010

रूसी साहित्यकार चेखव के १२ नाटकों के ६ भारतीय भाषाओं में अनुवाद हेतु कार्यशाला



अंग्रेज़ी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय में द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी उद्घाटित 
हैदराबाद, २० अक्टूबर.


विश्वप्रसिद्ध रूसी कथालेखक एवं नाटककार चेखव की १५० वीं वर्षगाँठ  के उपलक्ष्य में  आज यहाँ अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय  के  परिसर में  रूसी भाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित ''चेखव का अनुवाद '' विषयक द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला का उद्घाटन प्रसिद्ध  भारतीय चेखवविद  तथा जेएनयू के अधिष्ठाता प्रो. शंकर बसु ने   किया. उन्होंने चेखव की रचनागत विशेषताओं का उल्लेख करते हुए उन्हें मानवीय संवेदना के अप्रतिम चितेरे की संज्ञा दी . 

उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता रूसी अध्ययन संकाय के डीन प्रो.आर.डी.अकेला ने की और बताया कि इस आयोजन में चेखव के एक पूर्णाकार तथा ११ एकांकी नाटकों के रूसी से सीधे हिंदी ,मराठी ,तेलुगु, बंगला,ओडिया और मलयालम भाषाओं में संपन्न अनुवादों का विश्लेषण करके उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा जो अपने आप में एक कीर्तिमान होगा.

बीज भाषण सुप्रसिद्ध कवि एवं अनुवादक प्रो. वरयाम सिंह , जेएनयू , ने दिया. प्रो. सिंह ने कहा कि चेखव केवल रूसी लेखक ही नहीं थे, वे अपने समय में ही   भौगोलिक सीमाओं को लांघ चुके थे क्योंकि उनकी रचनाओं की विषयवस्तु और उनके पात्र चिरंतन हैं. इस अवसर पर संबोधित करते हुए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि हिंदीजगत के भारतेंदु हरिश्चंद्र और जयशंकर प्रसाद जैसे साहित्यकारों की भाँति चेखव भी ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने अकालमृत्यु   के बावजूद कालजयी  सिद्ध हुए हैं.

समारोह की संयोजक डॉ. चारुमति रामदास ने बताया कि इस कार्यक्रम में ३२ अनुवादक भाग ले रहे हैं जिनमें ११ नए चेहरे हैं. विविध भारतीय भाषाओं में इनके द्वारा किए गए अनुवादों का विश्लेषण करने के लिए  द्विभाषाविदों के साथ साथ विशेष रूप लक्ष्य भाषा के विद्वानों को भी आमंत्रित किया गया है ताकि अनूदित पाठों  को लक्ष्य भाषाओं के मुहावरे में ढाला जा सके. 

उद्घाटन सत्र के बाद छः समानांतर समूहों में कार्यशाला आरम्भ हुई. दो दिन में   कार्यशाला के चार सत्र होंगे. 

समापन गुरुवार को प्रो. जे. पी. डिमरी की अध्यक्षता में संपन्न होगा. समाकलन व्याख्यान प्रसिद्ध चेखवविद , लेखक और अनुवादक प्रो. योगेश भटनागर , भूतपूर्व आचार्य - जेएनयू, देंगे. समारोह में हैदराबाद के अतिरिक्त  गुवाहाटी, नागपुर, पुणे ,लखनऊ, कोल्हापुर, आगरा , अमृतसर, चंडीगढ़, भंडारा, कोलकाता बनारस, रीवां, दिल्ली, तिरुवनंत पुरम, इलाहाबाद और  औरंगाबाद आदि स्थानों से आए हुए अनुवादक और विशेषज्ञ विद्वान् सम्मिलित हैं.  

 चित्र परिचय : 
अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय में आयोजित 'चेखव का अनुवाद' विषयक द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर - 
चित्र एक : (बाएं से) प्रो.ऋषभ देव शर्मा, प्रो.वरयाम सिंह, प्रो.शंकर बसु एवं प्रो.आर.डी.अकेला. 
चित्र दो : (बाएं से) प्रो.चारुमति रामदास(माइक पर), प्रो.ऋषभ देव शर्मा, प्रो.वरयाम सिंह, प्रो.शंकर बसु एवं प्रो.आर.डी.अकेला

2 टिप्‍पणियां:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आज के स्वतंत्र वार्ता और मिलाप में यह चित्र और समाचार देख कर आनंदित हुए सर जी ::

Luv ने कहा…

Wonderful idea! Do such workshops happen often? Expecting a great collection to come out...