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मंगलवार, 24 अगस्त 2010

प्रेम जनमेजय का 'सीता अपहरण केस'



अभी कुछ दिन पहले 'सूत्रधार' वाले विनय वर्मा जी का परिपत्र जैसा ई-मेल आया तो पता चला कि २१/२२ अगस्त २०१० को हैदराबाद में ''सीता अपहरण केस'' का मंचन है. फिर डॉ. कविता वाचक्नवी जी ने बताया कि इन्हीं तिथियों में डॉ. प्रेम जनमेजय भी हैदराबाद आ रहे हैं. दोनों सूचनाएँ जुड़ गईं. --- यानी अपने नाटक के मंचन के अवसर पर प्रेम जी का सपरिवार हैदराबाद आना हुआ. पहली शाम कार्यालयीय कार्यवश और दूसरी शाम प्रकाशम् पन्तुलु जी की आत्मकथा के राधाकृष्ण मूर्ति जी कृत हिंदी अनुवाद के मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण के समारोह में जाने के कारण मैं इस मंचन का अवलोकन करने से वंचित रह गया. लेकिन मेरी बेटी [लिपि भारद्वाज] ने नाटक तो देखा ही, अपने विश्वविद्यालय के विभागीय पत्रक के लिए डॉ. प्रेम जनमेजय जी का साक्षात्कार भी लिया. लिपि ने नाटक के कुछ फोटो भी लिए -

4 टिप्‍पणियां:

Kamal ने कहा…

Shayd thanedaar Ram se kah raha hai ki itne apharan ho rahe hai kitnee
seetaon ko dhoondhta firoon . jab
firauti mangi jay tab aana, dekhoonga |

prahasn ka manchan manoranjak raha hoga .
Dhanywad !

kml

wgcdrsps ने कहा…

It appeared to be playing with the sentiments of a particular group.It could not have been done with ease with any God belonging to some other community. Perhaps the intention was to draw attn to self.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आधुनिक युग और सत्युग का अंतर !!!
बढिया चित्र के लिए लिपि बिटिया को बधाई॥

ZEAL ने कहा…

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fine clubbing of ancient and modern.

regards,
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