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रविवार, 8 अगस्त 2010

सृजनात्मक लेखन पर डॉ. गोपाल शर्मा : समापन किस्त

उम्मीद थी कि प्रो.गोपाल शर्मा रमज़ान की छुट्टियां बिताने लीबिया से अगस्त में अपने हैदराबाद आएंगे. लेकिन, ऐसा हो नहीं पा रहा है. अभी तीन दिन पहले डॉ.शशि बाला जी (श्रीमती गोपाल शर्मा) लीबिया से अकेली ही घर चली आई हैं. नहीं, झगड़ कर नहीं आई हैं. दुखी मन से आई हैं. हुआ यों कि बेनगाज़ी विश्वविद्यालय को अभी प्रोफेसर साहब का भारत आना गवारा नहीं, सो उन्हें किसी सेवा कालीन पुनर्नवा पाठ्यक्रम के लिए कुछ दिन को किसी और देश भेजा जा रहा है - विवरण अभी आना बकाया है. अतः अब संभवतः वे सितम्बर में ही भारत आ सकें. तब तक... निंदक नियरे राखिये ...

1 टिप्पणी:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

पति-पत्नी में झगड़ा नहीं!! यह कैसे हो सकता है? और अगर ऐसा नहीं हुआ तो डॊ. गोपाल शर्मा जी को ‘पुनर्वा्स’ की क्या ज़रूरत आन पड़ी:-)