हैदराबाद, ३ अगस्त २०१०.
कादम्बिनी क्लब [हैदराबाद] के तत्वावधान में नगर की प्रतिष्ठित लेखिका पवित्रा अग्रवाल के द्वितीय कहानी संग्रह "उजाले दूर नहीं' का लोकार्पण 31जुलाई को राजस्थानी स्नातक भवन में संपन्न हुआ।मंचासीन अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया। शुभ्रा महन्तो ने सरस्वती वंदना की। डा. अहिल्या मिश्रा ने अतिथियों का परिचय देते हुए पवित्रा से अपने 30 वर्ष पुराने रिश्तों का जिक्र किया और कहा कि
उनकी कहानियों में पात्रों का चयन सरल, सहज है।लेखिका मुखौटे नहीं पहनती, वह मितभाषी है,पवित्रा का व्यक्तित्व कहानियों में झलकता है।"उजाले दूर नहीं '' का लोकार्पण स्वतंत्र वार्ता के संपादक डा. राधेश्याम शुक्ल ने किया।क्लब और शुभचिन्तकों की तरफ से शाल व पुष्प गुच्छों से लेखिका को सम्मानित किया गया।
मुख्य वक्ता डा. ऋषभ देव शर्मा ने लोकार्पित कृति की सूक्ष्म पड़ताल करते हुए कहा कि वे पवित्रा के माध्यम से कहानियों को नहीं बल्कि कहानियों के माध्यम से पवित्रा अग्रवाल को जानते हैं।उन्होंने कहा कि
'' इस कहानी संकलन का शीर्षक पर्याप्त व्यंजनापूर्ण और प्रतीकात्मक है तथा लेखिका 'पहला कदम' से इस विकास तक पहुंची हैं कि 'उजाले दूर नहीं' हैं।कहानियां दर्शाती हैं कि लेखिका बेहद ईमानदार हैं और कहानियों में कहीं भी नारेबाजी नहीं है। वह स्त्री या पुरूष दोनो में से किसी एक को सदा खल पात्र के रूप में नहीं देखतीं | उन्हें स्त्रीवादी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। मैं उन्हें मानव संबंधों की सहज सौम्य कान्तासम्मित कहानीकार मानता हूँ ।'''
डा.राधेश्याम शुक्ल ने बधाई देते हुए कहा कि
पवित्रा नाम के अनुकूल रचना में भी पवित्रता का निर्वाह करती हैं, उनमें कहीं आडंबर नहीं है।कस्बाई जिन्दगी की अनुभूति,आर्य समाज के संस्कार उनके साथ हैं।
विशेष अतिथि तेलुगु भाषा के विख्यात कवि डा0 एन गोपी ने कहा कि
लेखक जो भी लिखता है वह दिल से ईमानदारी से आना चाहिए,लेखिका अपने अनुभवों के प्रति ईमानदार है,उन्होंने हितोपदेश देने का प्रयास नहीं किया है।वे स्वभाव से कोमल हैं।उन्होंने पवित्रा की कहानियों की तुलना तेलुगु भाषा की कथानिका से करते हुए कहा
कि पवित्रा की कहानियों में जो मध्यम वर्ग है,वह दुर्भाग्य से धीरे धीरे विलुप्त होता जा रहा है।
कहानी विशेषज्ञ डा0 एम0 वेंकटेश्वर ने कहा कि
''पवित्रा का नाम अखिल भारतीय स्तर पर शामिल हो चुका है ।उन्होंने अपनी कहानियों में स्त्री पुरुष संबंधों में संतुलन को गंभीरता से चित्रित किया है।आज जब कि लोग विश्लेषण डाल डाल कर कहानियों को क्लिष्ट बना रहे हैं, वहॉ पवित्रा अग्रवाल की कहानियां सरल और आडम्बररहित हैं।''उन्होंने कहा कि लक्ष्मी नारायण अग्रवाल परोक्ष रूप में पवित्रा जी के साहित्यिक योगदान में बधाई के पात्र हैं।
अध्यक्ष पद से बोलते हुए डा0 रामजी सिंह उदयन ने कहा,
"बहुत से कहानीकार विश्लेषण पर विश्लेषण करते जाते हैं , उससे कहानियां बोझिल हो जाती हैं। पवित्रा की कहानियाँ इससे बच गई हैं।उनमें मूल्यों की स्थापना का प्रयास है,जो इन्हें सार्थक साहित्य बनाता है। वे मौलिक कहानीकार हैं।''
कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मी नारायण अग्रवाल ने किया। सरिता सुराणा जैन ने उपस्थित साहित्यकारों का धन्यवाद किया। शिखा अग्रवाल जूही, डा.रमा द्विवेदी, रामगोपाल गोयनका,वेणुगोपाल भट्टड़,ज्योति नारायण,गुरुदयाल अग्रवाल,भंवर लाल उपाध्याय,राम कृष्ण पांडे,डा.श्री निवास राव,प्रो.बी. सत्य नारायण,दुली चंद शशि,विनीता शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, नरेन्द्र राय,शांति अग्रवाल,रत्न माला साबू,संपत देवी मुरारका,अमरनाथ मिश्र,सुरेश जैन,तेजराज जैन,सुरेश गंगाखेड़कर,मघु भटनागर,एलिजाबेथ कुरियन मोना,वीर प्रकाश लाहोटी सावन ,डा0 मदन देवी पोकरणा, सुषमा बैद,सरिता सुराणा जैन,उमा सोनी,सूरज प्रसाद सोनी,शोभा देशपांडे,पुष्पा वर्मा,रूबी मिश्रा,शीला सोंथलिया,रामास्वामी अय्यर कविराम,गौतम दीवाना,कन्हैयालाल अग्रवाल,डा0 बी0 बालाजी,लीला बजाज,डा0 एन अरूणा, शीला,तनिष्क आदि साहित्यकारों ,साहित्य प्रमियों ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
[प्रस्तुति - डा.अहिल्या मिश्र, संयोजिका, कादम्बिनी क्लब,हैदराबाद]
7 टिप्पणियां:
सबके मुस्काते मुखड़े देख मन खिल गया.....
स्मृतियाँ ....
....किसी के वर्तमान का हिस्सा नहीं हूँ न, सो उदासी भी घिर आई है.
Kaash main bhi Hyderabad mein hota!
Aap kuch kahaniyon ko bhi blogankit kar de.
Gopal Sharma, Libya
apane kahani sangrah ujale dur nahi par sachitra report dekh kar bahut achcha laga .Kavita ji aur Gopal sharma ji ki mail dekh kar dono ka dhyan ho aaya . bahar na hote to ve bhi is samaroh ka hissa
hote.
pavitra
पवित्रा जी को बधाई। कविता जी और गोपाल शर्मा जी हैदराबाद में न होने का दर्द पाल रहे हैं और मैं हैदराबाद में होने पर भी ऐसे शुभ कार्यक्रम में न जा पाने का:-(
वैसे, लक्ष्मीनारायण जी कहीं नहीं दिखाई दिए....शायद फोटो खींचने में व्यस्त थे :) अब उनका भी एक संग्रह निकल ही जाना चाहिए॥
- पवित्रा जी! फिर से बधाई।
- अनुपस्थितों की व्यथाकथा पर गोपालशर्मा जी एक सिरीज़ शुरु कर दें; व्यंग्य ही सही!
- वैसे दो चीजें कहने का मन है। पहली तो यह कि गोपाल शर्मा जी की दौड़/ पहुँच केवल ऋषभ जी के ब्लॉग पर आने तक है, इति सिद्धम्।
दूसरी बात, (इस से ऋषभ जी सहमत नहीं होंगे) कि भले उनके के लिए न सही किन्तु उनके ब्लॉग के लिए तो मैं लकी हूँ। जिस पोस्ट पर पहली टिप्पणी मेरी होती है, वह पोस्ट ३/४/५ आदि टिप्पणियों के आंकड़े तक पहुँचती है। :)
पवित्रा जी को ढेर शुभकामनाएं...शेष पुस्तक पढ़ने के बाद
आपका कहानी सग्रह प्रकाशित हुआ -जानकर प्रसन्नता हुई .क्या कथा संग्रह पढ़ने को मिल पायेगा .निर्मल गुप्त ,२०८ छीपी टैंक मेरठ
09818891718
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