गत-दिनों किसी ब्लॉग का लिंक मिला. क्लिक किया तो डॉ. कविता वाचक्नवी की पांच कवितायें दिखाई दीं.
मुझे लगा कि डॉ. राधेश्याम शुक्ल को ये रचनाएं पसंद आएँगी. सो, उन्हें अग्रेषित कर दीं....
और हर्षदायी विस्मय कि आज 'स्वतंत्र वार्ता' के साहित्य वाले पृष्ठ पर उन्होंने ये रचनाएं ससम्मान प्रकाशित भी कर दीं.
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