अभी दो दिन पूर्व केंद्रीय हिंदी संस्थान [हैदराबाद केंद्र] की रीडर डॉ. अनीता गांगुली का फोन आया - 'केंद्रीय हिंदी संस्थान में महाराष्ट्र के धुले जिले के हिंदी शिक्षकों के लिए इक्कीस दिवसीय नवीकरण पाठ्यक्रम चल रहा है - आपको कल ३ बजे आना है - ‘कविता शिक्षण’ के संबंध में विशेष व्याख्यान दीजिएगा.' इन्कार की गुंजाइश उन्होंने छोड़ी न थी. सो २३ जुलाई को जाना ही पड़ा. आनन फानन तैयारी की. प्रो. सुरेश कुमार का दिया एक मॉडल उनके एक आलेख में मिल गया. बिटिया लिपि ने उसके आधार पर पावर पॉइंट प्रोग्राम बना डाला और अपुन को २ घंटे धाराप्रवाह व्याख्यान के लिए बढ़िया सहारा मिल गया.
वैसे सच तो यही है कि 'कविता शिक्षण' की अनेक प्रणालियाँ होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कोई पद्धति सर्वश्रेष्ठ तथा परिपूर्ण है क्योंकि ध्वनि और व्यंजना की प्रधानता के कारण हर श्रेष्ठ कविता के अनेक पाठ और अर्थ संभव हो सकते हैं। कविता के आस्वादन को संभव बनाने के लिए, जैसा कि प्रो.सुरेश कुमार भी कहते हैं, अध्यापक को उसकी भाषा, बुनावट, गठन, साहित्यिक रूढ़ि, पृष्ठभूमि और समीक्षात्मक प्रतिमानों के स्तरों से संबंधित अध्ययन बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए।
खैर इस बहाने केंद्रीय हिंदी संस्थान के प्रो.टी.के. नारायण पिल्लै, प्रो. शकुंतला रेड्डी, प्रो.हेम राज मीणा और डॉ. राम निवास साहू का सत्संग मिल गया. प्रतिभागी अध्यापकों के प्रश्नों पर चर्चा में तो मज़ा आया ही.
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