साठये महाविद्यालय [मुंबई] में आयोजित संगोष्ठी की पहली साँझ बड़ी मनोरंजक रही. प्रेमचंद की तीन कहानियों का मंचन देखने को मिला - 'सवा सेर गेहूँ', 'संपादक मोटेराम शास्त्री' और 'ईश्वरीय न्याय'.
यह जानकारी रोमांचकारी थी कि प्रेमचंद की कहानियों के दीवाने शौकिया कलाकारों के इस समूह ने पिछले २३५ हफ़्तों में उनकी २२२ कहानियों का मंचन कर लिया है. इनका लक्ष्य ३१ जुलाई २०१० तक २८० कहानियों के मंचन का है. इसके बाद लगातार हफ्ते भर के नाट्य समारोह में इन समस्त कहानियों को एक साथ मंचित करने की योजना है.
नमन!
4 टिप्पणियां:
बहुत अच्छा लगा ये मंचन। धन्यवाद इसे दिखाने के लिये।
खूब बढिया रहा होगा।
खूब बढ़िया तो क्या ;
हाँ, ठीक था.
प्रभावित किया उन लोगों - कलाकारों - की निष्ठा ने.
दिल्ली वाले कब देख पाएंगे इन नाटकों को !
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