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गुरुवार, 2 अगस्त 2012

राजभाषा हिंदी को अपनाना संवैधानिक दायित्व है!

बीडीएल, भानूर में हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर विशेष अतिथि प्रो. ऋषभ देव शर्मा का सत्कार


भारत डायनामिक्स लिमिटेड, भानूर, मेदक [आंध्र प्रदेश] में दिनांक 30.07.2012 को हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम के सत्र जुलाई-नवंबर, 2012 का उद्घाटन संपन्न हुआ. दिनांक 01.08 .2012 से नियमित रूप से हिंदी प्रशिक्षण की प्रबोध की कक्षाएं प्रारंभ हुईं. हिंदी प्रशिक्षण कार्यक्रम के सत्र जुलाई-नवंबर, 2012 का उद्घाटन करते हुए भानूर इकाई के महा प्रबंधक (उत्पादन) श्री पी के दिवाकरन ने कहा कि हिंदी देश की राज भाषा है. हम सब को हिंदी सीखनी चाहिए और अपने साथियों को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए. हिंदी सीखने के बाद उसका यथावश्यक प्रयोग भी करना चाहिए. हिंदी का प्रचार-प्रसार करना केवल सरकार का दायित्व नहीं है. यह भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि तकनीकी विषयों को हिंदी में बड़ी सरलता से प्रस्तुत किया जा सकता है. उन्होंने आशा जताई कि बीडीएल के कर्मचारी हिंदी सीखकर अपने-अपने अनुभाग में हिंदी का माहोल बनाने में सफल होंगे और इसका प्रयोग तकनीकी क्षेत्र में भी करने का प्रयास करेंगे.

विशेष अतिथि के रूप में उपस्थिति उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद के अध्यक्ष एवं प्रोफ़ेसर डॉ ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि भारतीय संविधान एक ओर जहां भारत की जनता को कई सारे अधिकार देता है जैसे मूल अधिकार, सूचना का अधिकार, अभिव्यक्ति का अधिकार, सम्पति का अधिकार इत्यादि वहीं वह भारत की जनता से कुछ अपेक्षा भी करता है. सरकारी कामकाज पूरी तरह से राजभाषा हिंदी में करने की अपेक्षा उनमें से एक है. उन्होंने भारत की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि से कईं उदाहरणों से स्पष्ट किया कि भारत में प्राचीन काल से ही त्रिभाषा सूत्र का पालन किया जा रहा है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि त्रिभाषा सूत्र का पालन करने के बावजूद भारत सरकार का कामकाज किसी विदेशी भाषा में हो यह शतप्रतिशत अस्वीकार्य होना चाहिए. अंग्रेजी के प्रयोग को नगण्य बनाने के लिए यह जरुरी है कि हम जल्द से जल्द हिंदी सीखकर उसके प्रयोग में वृद्धि करें. यह भारत के प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक दायित्व है. उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि बीडीएल के कर्मचारी हिंदी सीखकर अपने हिंदी ज्ञान को केवल कक्षा तक सीमित नहीं रखेंगे. उसका विस्तार करेंगे और भारत सरकार की भाषा नीति के अनुसार हिंदी शिक्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना अमूल्य योगदान देंगे. 

बीडीएल, भानूर इकाई के उप महाप्रबंधक (का. एवं प्रशा.) श्री ए विजय कुमार चारी ने बीडीएल में किए जा रहे राजभाषा हिंदी कार्यान्वयन की प्रशंसा करते हुए प्रतिभागियों को सुझाव दिया कि हिंदी प्रशिक्षण में बड़ी संख्या में भाग लेकर बीडीएल द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का लाभ उठाएं. उन्होंने कहा कि कोई भी कोर्स करने के लिए धन और समय खर्च करना पड़ता है लेकिन ऐसे सेवाकालीन प्रशिक्षण में भाग लेकर इससे बचा जा सकता है. ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा हम काम करते हुए ज्ञान अर्जित कर सकते हैं. ज्ञान कभी भी व्यर्थ नहीं जाता. उन्होंने प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा कि हिंदी के माध्यम से अपार ज्ञानराशि को संचित किया जा सकता है. उन्होंने इस सत्र के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने अन्य साथियों को भी हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करेंगे और बीडीएल में हिंदी का वातावरण बनाने में प्रबंधन का सहयोग देंगे. 

कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलन और सरस्वती वन्दना से किया गया. कार्यक्रम का संचालन कार्मिक विभाग के उप प्रबंधक श्री शोभित कुलश्रेष्ठ ने किया और हिंदी अनुवादक डॉ बी बालाजी ने धन्यवाद ज्ञापित किया.

[प्रस्तुति : डॉ. बी. बालाजी] 

उद्घाटन समारोह के चित्र  यहाँ  देखें.


2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इस तरह के प्रयासों के बिन्दुओं से निसन्देह हिन्दी का सिन्धु पुनः भर जायेगा।

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय
दरअसल २०१५ तक ग क्षेत्र के सभी संघ सरकार के कार्यालयों के सामने हिंदी के कार्यसाधक ज्ञान का शतप्रतिशत का लक्ष्य यदि चरितार्थ हो सके तो इसे बड़ी उपलब्धि माना जा सकेगा.