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सोमवार, 19 मार्च 2012

हिंदी : भविष्य : प्रौद्योगिकी

सरस्वती-दीप प्रज्वलित किया प्रो. सुनयना सिंह ने.
आंध्र प्रदेश में चैत्री नवरात्र के आरंभ के साथ नव-संवत्सर भी आरंभ होता है. उस दिन युगादि पर्व मनाया जाता है. इस अवसर पर अन्य समस्त लोकाचार के अलावा एक परंपरा पंचांग दिखाने और भविष्यफल श्रवण की भी है. इस बार यह पर्व 23 मार्च 2012, शुक्रवार को पड़ रहा है.

यह मनोरंजक रहा कि युगादि पर्व के सप्ताह भर पूर्व केंद्रीय हिंदी संस्थान, हैदराबाद ने हिंदी के भविष्यफल श्रवण का आयोजन समारोहपूर्वक रिलायंस फ्रेश के ऊपर ग्रांड सीज़न होटल के सभाकक्ष में कर डाला. अजी हमारा कहने का मतलब है कि 17 मार्च 2012 को संस्थान ने स्वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रमों की शृंखला में ''हिंदी का भविष्य और भविष्य की हिंदी'' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता केहिस, आगरा के निदेशक प्रो. मोहन ने की - सुलझे हुए विद्वान हैं और बहुत सहज लहजे में बोलते हैं जैसे बतियाते हुए. बीज व्याख्यान उस्मानिया विश्वविद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग की अध्यक्ष प्रो. सुनयना सिंह ने दिया - जिसे शुभ संकेत माना जा सकता है.स्वागत सत्कार प्रो. शकुंतला रेड्डी ने किया.

प्रथम विचार सत्र में डॉ राज्यलक्ष्मी, डॉ.एम वेंकटेश्वर,
डॉ. आर एस सर्राजू, डॉ. ऋषभदेव शर्मा, डॉ. श्री
और डॉ. हेमराज मीणा 


दो सत्रों में दर्ज़न भर पर्चे पढ़े गए. प्रो.आर एस सर्राजु, प्रो. एम वेंकटेश्वर, प्रो. पी माणिक्याम्बा, प्रो. शुभदा वांजपे, प्रो. हेमराज मीणा, प्रो. तेजस्वी कट्टीमनी,प्रो. वी कृष्णा,  डॉ.अनीता गांगुली, डॉ. रामनिवास साहू, डॉ. चंद्रा मुखर्जी, डॉ. अर्चना झा, डॉ. राज्यलक्ष्मी, डॉ. श्री आदि के साथ हमें भी भविष्य-कथन का अवसर मिला.
मौका अच्छा था , हमने प्रथम वक्ता के रूप में माइक हथिया कर ''हिंदी : भविष्य : प्रौद्योगिकी'' शीर्षक से प्रश्न-कुंडली बनाकर हिंदी का भविष्य बताया और भविष्य की हिंदी के बारे में भी भविष्यवाणी की.

तो 25 मिनट तक हमने क्या-क्या कहा उसे फिलहाल भविष्य के लिए सुरक्षित रखते हैं; अभी आप केवल भविष्यफल श्रवण/वाचन कर लें.

अथ ऋषभ उवाच-

[अ] हिंदी का भविष्य -
1. हिंदी और उसका भविष्य इस शती में बाज़ार और प्रौद्योगिकी/तकनीक के बल पर सुरक्षित है और रहेगा.
2. हिंदी अब अंग्रेजी के रास्ते पर है अर्थात अंग्रेज़ी के साथ ग्लोबल भाषा के रूप में स्वयं को सिद्ध करने वाली है.
3. आने वाले समय में हिंदी पूरी तरह अक्षेत्रीय भाषा के रूप में उभरेगी.
4. हिंदी पर से तथाकथित हिंदी-बैल्ट का वर्चस्व लगातार घटेगा.
 और
5. भविष्य में हिंदी सबकी साझी हिंदी होगी - किसी इस या उस वर्ग, क्षेत्र , जाति, धर्म या संप्रदाय की नहीं.

[आ] भविष्य की हिंदी [का स्वरूप] - 
1. बाज़ार के दबाव और विज्ञापन के प्रभाव के कारण हिंदी-व्याकरण के नियम टूटेंगे और भाषा का लचीलापन बढ़ेगा.
2. देशज शब्दों का प्रयोग बढ़ेगा क्योंकि उनके माध्यम से अधिक बड़ी जनसँख्या को संबोधित करना संभव होगा.
3. बिंदास शब्दावली की सार्वजनिक रूप से स्वीकृति बढ़ेगी.
4. अभी तक व्यक्तिगत संबंधों मेंजो भाषा की शालीनता और सामाजिक नैतिकता है , वह भी टूटेगी.
5. हिंदी के विभिन्न रूप क्षेत्रवार विकसित और स्वीकृत होंगे तथा पिजिनीकरण और कोड मिश्रण/परिवर्तन के बढ़ने के साथ हिंदी का बचा-खुचा पंडिताऊपन टूट जाएगा.
6. साहित्य में भी ये सारी चीज़ें आएंगी और एक ही कृति में विविध भाषा रूपों के प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ेगी.
7. भविष्य की हिंदी के स्वरुप निर्धारण में सोशल नेटवर्किंग साइटों की प्रभावी भूमिका होगी तथा हिंदी में शब्दों के संक्षेपीकरण की प्रवृत्ति और सीमित शब्दों में संप्रेषण के कौशल का विकास होगा.

4 टिप्‍पणियां:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

अ. देखना बाक़ी है

आ. इस बात में दम है

shukla upen ने कहा…

sir ji main abhi s vaarttha main hoon us din main aya tha udghatan samaroh main. ager aap ka paper mujhe milta to main isi se samacher banatha.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपकी भविष्यवाणी को हमारी भी मानकर चलिये।

Sunil Kumar ने कहा…

भविष्यवाणी सही हो ऐसी कामना है आभार