दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कलम कारखाने में कई कलमची आए थे.
संपत देवी मुरारका जी बोलीं - मेरे घर एक गोष्ठी रख लीजिए न.
बस हो गई होली की पूर्व संध्या रंगारंग.
अपुन की अध्यक्षता में कविताएं भी बरसीं और रंग भी खूब बरसा.
महिलाएं तो वहीं वृन्दावन उतारने पर उतारू हो गईं.
डॉ हीरालाल बाछोतिया, डॉ रामजन्म शर्मा, डॉ मीता शर्मा और डॉ हेमराज मीणा इस अनोखे सम्मान से गद्गद हुए.
धुआँ और गुलाल / ऋषभ देव शर्मा
सिर पर धरे धुएँ की गठरीमुँह पर मले गुलाल
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है पर्याय खुशी का
खुलें
और
खिल जाएँ हम;
होली है पर्याय नशे का -
पिएँ
और
भर जाएँ हम;
होली है पर्याय रंग का -
रँगें
और
रंग जाएँ हम;
होली है पर्याय प्रेम का -
मिलें
और
खो जाएँ हम;
होली है पर्याय क्षमा का -
घुलें
और
धुल जाएँ गम !
मन के घाव
सभी भर जाएँ,
मिटें द्वेष जंजाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !
होली है उल्लास
हास से भरी ठिठोली,
होली ही है रास
और है वंशी होली
होली स्वयम् मिठास
प्रेम की गाली है,
पके चने के खेत
गेहुँ की बाली है
सरसों के पीले सर में
लहरी हरियाली है,
यह रात पूर्णिमा वाली
पगली
मतवाली है।
मादकता में सब डूबें
नाचें
गलबहियाँ डालें;
तुम रहो न राजा
राजा
मैं आज नहीं कंगाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !
गाली दे तुम हँसो
और मैं तुमको गले लगाऊँ,
अभी कृष्ण मैं बनूँ
और फिर राधा भी बन जाऊँ;
पल में शिव-शंकर बन जाएँ
पल में भूत मंडली हो!
ढोल बजें,
थिरकें नट-नागर,
जनगण करें धमाल;
चले हम
धोने रंज मलाल !
8 टिप्पणियां:
सबको होली की शुभकामनायें..
☺ वाह
कितना सुन्दर सन्देश होली का!
बधाई एवं शुभ-कामनायें स्वीकारें.
रंग और गुलाल का त्योहार
खुशियों ही दें सबको हर बार।
चित्रों को देख कर
कविताओं और रंग से भीगने की
घर बैठे हमने भी कलपना करली।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
रंग और गुलाल का त्योहार
खुशियों ही दें सबको हर बार।
चित्रों को देख कर
कविताओं और रंग से भीगने की
घर बैठे हमने भी कलपना करली।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
इतनी अच्छी सीधी सादी परिभाषा
हर दिल में भर दे उल्लास
जय हो जय हो चित्रकार
इस कविता के राजकुमार
gurudayal agrwal
ढेर सारा रंग और गुलाल ! होली मंगलमय हो!
होली है पर्याय खुशी का......... घुल जायें गम।
यह पराग्राफ़ सबसे सुन्दर लगा। अपने आप में सम्पूर्ण !
होली की शुभकामनायें
सादर
इला
एक टिप्पणी भेजें