पिछले कई वर्षों से उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद की शोधछात्रा श्रीमती सीमा मिश्रा ३१ दिसंबर को श्रीलाल शुक्ल के जन्मदिन पर संगोष्ठी का आयोजन करती रही हैं. उन पर एमफिल के बाद पीएचडी भी वे उन्हीं पर कर रही थीं. इस बार श्रीलाल शुक्ल कों ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया लेकिन कुछ ही दिन बाद वे पंचतत्व में लीं हो गए. यों इस वर्ष [३१.१२.२०११] की संगोष्ठी उनकी स्मृति कों समर्पित की गई.
अध्यक्षता अपुन के जिम्मे आई. मुख्य अतिथि रहे चंडीगढ से पधारे प्रो. अमर सिंह वधान. ''हिंदी साहित्य को श्रीलाल शुक्ल का प्रदेय'' पर मुख्य व्याख्यान प्रो. टी. मोहन सिंह ने दिया ; सीमा मिश्र भी बोलीं. विशेष अतिथि डॉ. अहिल्या मिश्र थीं और संचालक डॉ. जी.नीरजा. सीमा की किताब ''श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास 'राग दरबारी' का राजनैतिक संदर्भ'' का लोकार्पण किया डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने. अच्छी-खासी चर्चा हुई.
संपत देवी मुरारका जी ने खूब फोटो खींचे ; और मुझे भेज भी दिए.
4 टिप्पणियां:
श्रीलालजी को पुनरपि विनम्र श्रद्धांजलि।
श्रीलाल शुक्ल जी को पुन: श्रद्धांजलि।
फ़ोटो बहुत अच्छे आये हैं।
@प्रवीण पाण्डेय
@अनूप शुक्ल
आगमन के किए धन्यवाद.
नव वर्ष मंगलमय हो.
सर जी, अपुन भी फ़ोटू देखेला है, अपुन तो कुछ करेला नहीं पनकी थोरा देरी से पहुंचेला है।
अच्छे फ़ोटू के इए श्रीमती मुरारकाजी को और अच्छी अध्यक्षता के लिए आपको बधाई॥
एक टिप्पणी भेजें