फ़ॉलोअर

गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

शिक्षण सामग्री गुणवत्ता नियंत्रण



'दूरस्थ माध्यम शिक्षण सामग्री गुणवत्ता नियंत्रण' विषयक कार्यशाला संपन्न


चेन्नै, 02अप्रैल, 2009।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अंतर्गत दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के तत्वावधान में यहाँ द्वि-दिवसीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन दूरस्थ शिक्षा परिषद, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के सहयोग से सभा के सम्मेलन कक्ष में संपन्न हुआ जिसमें दो दिन तक चले विभिन्न वैचारिक सत्रों में ‘दूरस्थ माध्यम शिक्षण सामग्री और गुणवत्ता नियंत्रण’ के विविध पक्षों पर गहन चर्चा हुई।

डॉ. ऋषभदेव शर्मा के संयोजकत्व में संपन्न उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता इग्नू के प्रोफेसर डॉ.सत्यकाम ने की तथा एन.सी.ई.आर.टी. के डॉ. हीरालाल बाछोतिया मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन हुए। इग्नू के रसायन शास्त्र के आचार्य डॉ. बी.एस. सारस्वत ने उद्घाटन भाषण तथा उच्च शिक्षा और शोध संस्थान के कुलसचिव प्रो. दिलीप सिंह ने बीज वक्तव्य दिया।

विचार सत्रों में दूरस्थ माध्यम सामग्री के स्वरूप और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की सामग्री की गुणवत्ता पर समीक्षात्मक दृष्टि से परिपूर्ण आलेख प्रस्तुत किए गए। सत्रों की अध्यक्षता प्रो. टी.वी. कट्टीमनी, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, प्रो. एम. वेंकटेश्वर, डॉ. हीरालाल बाछोतिया तथा प्रो. सत्यकाम ने की। विषय विशेषज्ञ के रूप में मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. आर. इकबाल अहमद तथा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की निदेशक गीता वर्मा ने प्रतिभागियों को संबोधित किया। अमरेंद्र श्रीवास्तव, ए.जी. श्रीराम, एन. लक्ष्मी, सतीश कुमार श्रीवास्तव, बी. बी. खोत, कौशल्या वरदराजन, डॉ. मोहन नायुडु, प्रो. निर्मला एस. मौर्य, डॉ. बिष्णुकुमार राय, डॉ. लक्ष्मी अय्यर, डॉ. मधु धवन तथा डॉ. जी.नीरजा ने दूरस्थ शिक्षा माध्यम की पाठ सामग्री के निर्माण के अपने अनुभवों के आधार पर इस क्षेत्र की जटिलताओं और उनके समाधान की प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट किए। प्रधान सचिव सी.एन.वी. अण्णामलै ने अतिथियों का स्वागत सत्कार किया। गीता वर्मा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ द्वि-दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई।

चित्र परिचय
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के चेन्नै केंद्र में संपन्न ‘दूरस्थ माध्यम शिक्षण सामग्री और गुणवत्ता नियंत्रण’ कार्यशाला में उपस्थित दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, चेन्नै की निदेशक गीता वर्मा, कुलसचिव प्रो. दिलीप सिंह, पी.जी. केंद्र हैदराबाद के अध्यक्ष प्रो. ऋषभदेव शर्मा, प्रो.एम.वेंकटेश्वर , प्रो.टी.वी.कट्टीमनी एवं अन्य ।

1 टिप्पणी:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

आज के भाग-दौडी जीवन में यदि कोई दूरस्त माध्यम से अपना ज्ञान बढाना चाहे तो यह एक सशक्त माध्यम तभी बन सकता है कि इसमें शिक्षा का ऊंचा स्तर हो। इसके लिए जो मंथन विद्वान कर रहे हैं वह स्तुतीय है। विचारों के आदान-प्रदान से ही कुछ क्षीर कि प्राप्ति हो सकती है।