हैदराबाद, 23 जनवरी.
वे इस समय 73 वर्ष के हैं और एनएमडीसी के मुख्य राजभाषा प्रबंधक के पद से अवकाश ग्रहण करने के दशक भर से अधिक पहले से प्रतिवर्ष ''अखिल भारतीय प्रबंध प्रशिक्षण कार्यक्रम'' आयोजित करते आ रहे हैं. ....आज भी पूरे जोश और स्फूर्ति के साथ.
मेरा इशारा आदरणीय गोवर्धन ठाकुर की तरफ है. अभी उनका त्रिदिवसीय कार्यक्रम होटल वज्र में चल रहा है. दो दिन पहले ही फोन पर उनका फरमान आया - वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन की परंपरा पर बात करनी है आपको और यह स्पष्ट करना है कि इसमें राजभाषा हिंदी का प्रयोग कितना सरल और कितना लाभकारी हो सकता है. सो हुक्म बजा लाया गया. नब्बे मिनट के सत्र में रोचक बातचीत हुई.
सत्र के बाद करीब नब्बे मिनट ही ठाकुर साहब से भी बातचीत हुई. बातचीत क्या बस वे सुनाते रहे और मैं हुंगारा देता रहा. यों तो वे सदा ही हाइपर एक्टिव जैसे रहते हैं पर इस बार खूब मस्त और प्रसन्न नज़र आए - रस ले ले कर अपने अमेरिका स्थित पोते की बाल लीलाओं का वर्णन कर रहे थे तो चेहरा और आँखें चमक चमक जाती थीं. वहाँ बर्फ गिरी तो स्काइप की कृपा से यहाँ इन्होंने उसका जीवंत दृश्य देख लिया! उनका यह बालपन मुझे बड़ा भाया.
खैर...बात थी प्रशिक्षण कार्यक्रम की. तो; हम दो के अलावा डॉ. राधेश्याम शुक्ल, मौ. कमालुद्दीन और ठाकुर विजय कुमार को भी मार्गदर्शन के लिए बुलाया गया है. प्रतिभागी दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से आए हैं.