यह महान दृश्य है...
@01मार्च,2019
भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को अंतत: पाकिस्तान ने विधिवत भारत को सौंप दिया। भारत भर में दीवाली का हर्ष छा गया। वह क्षण अत्यंत रोमांचकारी और गौरवपूर्ण था जब भारतमाता के इस सपूत ने मातृभूमि की सीमा में वापस प्रवेश किया। उस ऐतिहासिक पल में विंग कमांडर का धैर्य, संतुलन, स्वाभिमान और आत्मविश्वास देखने लायक था। वे सचमुच ‘अग्निपथ’ पार करके आए हैं। शायद ऐसे ही अवसर के लिए डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने कहा हो-
यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथपथ लथपथ लथपथ
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
इतिहास याद रखेगा, किस तरह पाकिस्तानी वायुसेना के हमलावर विमानों का पीछा करते हुए विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने उन्हें भगाने और मार गिराने में सफलता पाई थी। भले ही उनका अपना विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो। उन्होंने अपने प्राण तो बचा लिए, लेकिन संयोगवश पाकिस्तान के क्षेत्र में जा गिरे और पाकिस्तानी सेना के कब्जे में चले गए। जाहिर है, वहाँ उनके साथ कोई बहुत अच्छा व्यवहार तो नहीं ही किया गया होगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने झुकते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को उनके भारत को लौटाने की घोषणा करनी पड़ी। पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की कि यह वापसी उसकी अपनी शर्त पर हो और भारत उससे वार्ता के लिए आगे आ जाए। पर उसकी एक न चली। इसे भारत की कूटनीति की जीत ही कहा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इस मामले में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया। फिर भी वियना संधि का उल्लंघन करके इस घटना का अपने प्रचार के लिए भरपूर इस्तेमाल करने से वह बाज नहीं आया। अभिनंदन वर्धमान की सकुशल देश वापसी को बार-बार किसी न किसी कारण टाला गया और उनका बयान रिकॉर्ड करके पाकिस्तान मीडिया पर प्रचारित किया गया। जगजाहिर है कि पाक-फौज की प्रशंसा और भारतीय मीडिया की आलोचना करनेवाला यह बयान दबाव में दिया गया बयान है। किसी प्रमाण के रूप में इसकी कोई विश्वसनीयता नहीं हो सकती। यही नहीं, यह वीडियो बुरी तरह संपादित है, जिससे पता चलता है कि तथाकथित बयान को अपने अनुकूल बनाने के लिए उसमें भारी काट-छांट की गई है। ऐसा करके पाकिस्तान ने साफ कर दिया कि जिसे वह ‘शांति की दिशा में सदाशयता का एक कदम’ कह रहा है, उसके पीछे उसकी नीयत बिल्कुल भी साफ नहीं है। इसलिए यह उम्मीद करना अभी दूर की कौड़ी भर है कि इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव घट जाएगा।
पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है और वह विश्व-जनमत को गुमराह करने के लिए भलेपन का नाटक कर रहा है। वरना अभिनंदन वर्धमान के लौटाए जाने की घोषणा के साथ ही सीमा और एलओसी पर शांति छा जानी चाहिए थी। पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उलटे पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर को तोड़ने और हमले की वारदातें इस तरह चलती रहीं, मानो उसकी फौज ने अपने प्रधानमंत्री का बयान सुना ही न हो। अगर थोड़ी देर को मान भी लिया जाए कि युद्धबंदी को लौटाने के पीछे इमरान खान का इरादा नेक था, तो इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से हमले जारी रहने से यह भी पता चलता है कि सेना के इरादे कतई नहीं। अतः, पाकिस्तान के साथ सुलह-सफाई का समय अभी नहीं आया है।
इस बीच, पाकिस्तान की कूटनीतिक घेराबंदी करने में भारत को एक और सफलता इस्लामिक सहयोग संगठन (आईओसी) के मंच पर भी मिली है। इसमें भारत की विदेश मंत्री ने ‘सम्मानित अतिथि’ के रूप में भाग लिया और पाकिस्तान के विदेश मंत्री की कुर्सी खाली रही! संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान को लगातार घेरा जा रहा है। आर्थिक नाकेबंदी भी चलती रहनी चाहिए। इस वक्त भारत को नाहक ही पिघलना नहीं चाहिए। पाक को शांति के लिए कदम बढ़ाना ही है, तो अपनी जमीन से आतंकवाद को उखाड़ फेंके। उससे न होता हो, तो भारत से सहायता के लिए कहे; और अपनी सदाशयता प्रमाणित करे! 000
@01मार्च,2019
भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को अंतत: पाकिस्तान ने विधिवत भारत को सौंप दिया। भारत भर में दीवाली का हर्ष छा गया। वह क्षण अत्यंत रोमांचकारी और गौरवपूर्ण था जब भारतमाता के इस सपूत ने मातृभूमि की सीमा में वापस प्रवेश किया। उस ऐतिहासिक पल में विंग कमांडर का धैर्य, संतुलन, स्वाभिमान और आत्मविश्वास देखने लायक था। वे सचमुच ‘अग्निपथ’ पार करके आए हैं। शायद ऐसे ही अवसर के लिए डॉ. हरिवंश राय बच्चन ने कहा हो-
यह महान दृश्य है
चल रहा मनुष्य है
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथपथ लथपथ लथपथ
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ
इतिहास याद रखेगा, किस तरह पाकिस्तानी वायुसेना के हमलावर विमानों का पीछा करते हुए विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने उन्हें भगाने और मार गिराने में सफलता पाई थी। भले ही उनका अपना विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया हो। उन्होंने अपने प्राण तो बचा लिए, लेकिन संयोगवश पाकिस्तान के क्षेत्र में जा गिरे और पाकिस्तानी सेना के कब्जे में चले गए। जाहिर है, वहाँ उनके साथ कोई बहुत अच्छा व्यवहार तो नहीं ही किया गया होगा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने झुकते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को उनके भारत को लौटाने की घोषणा करनी पड़ी। पाकिस्तान ने पूरी कोशिश की कि यह वापसी उसकी अपनी शर्त पर हो और भारत उससे वार्ता के लिए आगे आ जाए। पर उसकी एक न चली। इसे भारत की कूटनीति की जीत ही कहा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण इस मामले में पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया। फिर भी वियना संधि का उल्लंघन करके इस घटना का अपने प्रचार के लिए भरपूर इस्तेमाल करने से वह बाज नहीं आया। अभिनंदन वर्धमान की सकुशल देश वापसी को बार-बार किसी न किसी कारण टाला गया और उनका बयान रिकॉर्ड करके पाकिस्तान मीडिया पर प्रचारित किया गया। जगजाहिर है कि पाक-फौज की प्रशंसा और भारतीय मीडिया की आलोचना करनेवाला यह बयान दबाव में दिया गया बयान है। किसी प्रमाण के रूप में इसकी कोई विश्वसनीयता नहीं हो सकती। यही नहीं, यह वीडियो बुरी तरह संपादित है, जिससे पता चलता है कि तथाकथित बयान को अपने अनुकूल बनाने के लिए उसमें भारी काट-छांट की गई है। ऐसा करके पाकिस्तान ने साफ कर दिया कि जिसे वह ‘शांति की दिशा में सदाशयता का एक कदम’ कह रहा है, उसके पीछे उसकी नीयत बिल्कुल भी साफ नहीं है। इसलिए यह उम्मीद करना अभी दूर की कौड़ी भर है कि इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव घट जाएगा।
पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है और वह विश्व-जनमत को गुमराह करने के लिए भलेपन का नाटक कर रहा है। वरना अभिनंदन वर्धमान के लौटाए जाने की घोषणा के साथ ही सीमा और एलओसी पर शांति छा जानी चाहिए थी। पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उलटे पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर को तोड़ने और हमले की वारदातें इस तरह चलती रहीं, मानो उसकी फौज ने अपने प्रधानमंत्री का बयान सुना ही न हो। अगर थोड़ी देर को मान भी लिया जाए कि युद्धबंदी को लौटाने के पीछे इमरान खान का इरादा नेक था, तो इसके बावजूद पाकिस्तान की ओर से हमले जारी रहने से यह भी पता चलता है कि सेना के इरादे कतई नहीं। अतः, पाकिस्तान के साथ सुलह-सफाई का समय अभी नहीं आया है।
इस बीच, पाकिस्तान की कूटनीतिक घेराबंदी करने में भारत को एक और सफलता इस्लामिक सहयोग संगठन (आईओसी) के मंच पर भी मिली है। इसमें भारत की विदेश मंत्री ने ‘सम्मानित अतिथि’ के रूप में भाग लिया और पाकिस्तान के विदेश मंत्री की कुर्सी खाली रही! संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी पाकिस्तान को लगातार घेरा जा रहा है। आर्थिक नाकेबंदी भी चलती रहनी चाहिए। इस वक्त भारत को नाहक ही पिघलना नहीं चाहिए। पाक को शांति के लिए कदम बढ़ाना ही है, तो अपनी जमीन से आतंकवाद को उखाड़ फेंके। उससे न होता हो, तो भारत से सहायता के लिए कहे; और अपनी सदाशयता प्रमाणित करे! 000
2 टिप्पणियां:
जय भारत। जय हिंद।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
बहुत खूब ..
अद्भुत लेख!
PKMKB
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