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बुधवार, 24 सितंबर 2014

'सृजनात्मकता और भाषा' : व्याख्यान सूत्र

24  सितंबर 2014
राजीव गांधी विश्वविद्यालय  [अरुणाचल प्रदेश]
एमए [हिंदी]  के छात्रों के समक्ष 

विशेष व्याख्यान : ऋषभ देव शर्मा 

''सृजनात्मकता और भाषा''


Ø सृजनेच्छा और सृजनशक्ति

Ø नवोन्मेषशालिनी प्रतिभा और कल्पना शक्ति

Ø ललित कला के रूप में साहित्य सृजन

Ø कला माध्यम : स्थूल से सूक्ष्म

Ø साहित्य सृजन : भाषिक कला के रूप में

Ø भाषा की लचीली प्रकृति

Ø शब्दों पर झेला गया सौंदर्य : शैली

Ø सृजनात्मकता : चयन

Ø सृजनात्मकता : समांतरता

Ø सृजनात्मकता : विचलन

Ø सृजनात्मकता : विपथन

Ø सुदामा पांडेय 'धूमिल' : भूख [अंश]

आततायी की नींद
एतबार का माहौल बना रही है
लोहे की जीभ : उचारती है
कविता के मुहावरे
ओ आग! ओ प्रतिकार की यातना!!
एक फूल की कीमत
हज़ारों सिसकियों ने चुकाई है।


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Ø नागार्जुन : अकाल और उसके बाद

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।


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