31 मार्च 2012 को भास्कर ऑडिटोरियम, हैदराबाद में एक विचित्र प्रतीत होने वाला आयोजन हबड-तबड में संपन्न हुआ. अर्थात 30 पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण.
यार लोगों ने कहा - यह तो पुस्तक-मेले की तर्ज़ पर लोकार्पण-मेला हो गया! लोकार्पित पुस्तकों में से ज़्यादातर डॉ अनंत काबरा की थीं या उनके बारे में थीं.
इस विचित्र समारोह में हमारी भी दो बहुप्रतीक्षित किताबें रिलीज़ हो गईं -
1.देहरी - जिसमें पिछले वर्षों लिखी अपुन की कुछ स्त्रीपक्षीय कविताएँ हैं और
2.कविता का समकाल - जिसमें समकालीन कविता पर कुछ समीक्षात्मक आलेख हैं.
7 टिप्पणियां:
यह तो महालोकार्पण हुआ कविताओं का।
आ. ऋषभदेव जी,
पुस्तकों के लोकार्पण की हार्दिक बधाई स्वीकारें.
हार्दिक बधाई!
@प्रवीण पाण्डेय
लेकिन कई बातें इस समारोह की उल्लेखनीय रहीं जिन्हें मैंने लिखा नहीं. जैसे कि अपनी चार किताबों का लोकार्पण डॉ अनंत काबरा ने चार अनाथ बच्चों से कराया.
@संपत देवी मुरारका
धन्यवाद.
@रविकर फैजाबादी
प्रिय भाई, बुधवारीय चर्चा में उल्लेख हेतु कृतज्ञ हूँ.
@रविकर फैजाबादी
आभारी हूँ.
स्नेह बना रहे.
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