कविता वाचक्नवी के सम्मान में स्नेह मिलन और कवि गोष्ठी संपन्न
हैदराबाद,१३ जनवरी २०११.[प्रेस विज्ञप्ति].
.स्नेह मिलन और कवि गोष्ठी के अवसर पर कवयित्री डॉ.कविता वाचक्नवी को 'विश्वम्भरा ' की ओर से स्मृति-चिह्न प्रदान करते हुए चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद और द्वारका प्रसाद मायछ. साथ में हैं - आर. शांता सुन्दरी,संपत देवी मुरारका, प्रो. बी.सत्यनारायण और प्रो.ऋषभदेव शर्मा.
'साहित्य मंथन' और 'विश्वम्भरा' के तत्वावधान में आज सायं प्रसिद्ध कवयित्री और संस्कृतिकर्मी डॉ. कविता वाचक्नवी के हैदराबाद आगमन पर 'स्नेह मिलन और कविगोष्ठी' का आयोजन किया गया. आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के अनुसंधान अधिकारी प्रो. बी. सत्यनारायण की अध्यक्षता में संपन्न इस समारोह में कवयित्री का सारस्वत सम्मान किया गया. सर्वप्रथम दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने अंगवस्त्र द्वारा मुख्य अतिथि डॉ.वाचक्नवी का स्वागत किया. तदुपरांत 'विश्वम्भरा' के संरक्षकद्वय चन्द्र मौलेश्वर प्रसाद और द्वारका प्रसाद मायछ ने स्मृति-चिह्न के रूप में नामांकित रजत पट्टिका प्रदान की.
सम्मान-चिह्न प्रदान करते हुए संपत देवी मुरारका. साथ में हैं - आर. शांता सुन्दरी और प्रो. बी.सत्यनारायण.
मित्रों, शुभचिंतकों और प्रशंसकों की ओर से कार्यक्रम की संयोजिका संपत देवी मुरारका ने सम्मानचिह्न और मुक्तामाल भेंट कीं तथा रचनाकारों की ओर से पुस्तकें और लेखन सामग्री प्रदान की गईं. 'आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी', 'उच्च शिक्षा और शोध संस्थान' तथा 'अहल्या' पत्रिका की ओर से भी कवयित्री का सम्मान किया गया. आत्मीय जन के स्नेह और आशीष को अत्यंत संकोच और विनम्रता से स्वीकार करती हुईं कविता जी काफी प्रसन्न दिख रही थीं.
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ.कविता वाचक्नवी. साथ में हैं - डॉ.बी. बालाजी, प्रो. बी.सत्यनारायण, संपत देवी मुरारका और आर.शांता सुन्दरी.
डॉ. कविता वाचक्नवी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में विस्तार से इन्टरनेट के माध्यम से साहित्य, भाषा और संस्कृति की सेवा के कई गुर बताए और हमेशा की तरह उन लोगों को जी भर कर लताड़ा जो इस शक्तिशाली माध्यम का प्रयोग केवल अपनी छपास मिटाने के लिए करते हैं.
खूब कविताएँ पढी-सुनी गईं.
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5 टिप्पणियां:
हमें आगे बढाने के लिए आभार सरजी।
शानदार समारोह और उसका सार्थक समापन.....
कविता जी,की कर्मठता और समर्पित भाव से समाज के विभिन्न क्षेत्रों तथा साहित्य हेतु उनकी चिन्ता एवं प्रयासों के प्रति हम नतमस्तक हैं . उन के इस सम्मान से हम सब गौरवान्वित हुए हैं.
जिनके कृतित्व और नामों परिचित थी उन्हें देखने (फ़ोटो में ही सही )पहचानने का सुअवसर मिला,कार्यक्रम अति सुरुचिपूर्ण और सुन्दर प्रतीत हो रहा है .इन चित्रो को देख कर बहुत अच्छा लग रहा है .
देश से बाहर रह कर इन गरिमामय क्षणों से जुड़ सकी ,आदरणीय ऋषभ देव जी, मैं उपकृत हूँ .सभी आयोजकों सहित आपको और आ. कविता जी को बधाई .
- प्रतिभा सक्सेना
आयोजनों के माध्यम से हिन्दीजगत को उत्साहित करने का आभार।
कोटिशः बधाई और शुभकामनाएँ।
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