'साहित्य मंथन' और 'विश्वम्भरा' के तत्वावधान में तेरह जनवरी [लोहड़ी] २०११ की साँझ को डॉ. कविता वाचक्नवी के हैदराबाद आगमन पर 'स्नेह मिलन और कविगोष्ठी' का आयोजन किया गया जो कविता जी के सम्मान समारोह में बदल गया. मित्रों, शुभचिंतकों और प्रशंसकों के आशीर्वाद और अपनेपन को समेटती हुईं कविता जी काफी प्रसन्न दिख रही थीं. उन्होंने विस्तार से इन्टरनेट के माध्यम से साहित्य, भाषा और संस्कृति की सेवा के कई गुर बताए और हमेशा की तरह उन लोगों को जी भर कर लताड़ा जो इस शक्तिशाली माध्यम का प्रयोग केवल अपनी छपास मिटाने के लिए करते हैं. खूब कविताएँ पढी-सुनी गईं. 'आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी', 'उच्च शिक्षा और शोध संस्थान' तथा 'अहल्या' पत्रिका की ओर से भी कवयित्री का सम्मान किया गया. अध्यक्षता आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी के प्रो. बी. सत्यनारायण ने की. अनुवादिका शांता सुन्दरी विशेष अतिथि रहीं. संचालन डॉ. बी. बालाजी ने किया. संयोजन संपत देवी मुरारका और उनके सुपुत्र राजेश मुरारका ने सँभाला.
चित्र : राजेश मुरारका. और गोपाल कुमार
7 टिप्पणियां:
अच्छी और सराहनीय प्रस्तुती......वास्तव में इस शक्तिशाली माध्यम का प्रयोग हमसब को जनहित तथा सामाजिक सरोकार के लिए करना चाहिए......आपलोगों से आग्रह की रूपम पाठक की रिहाई के लिए जोरदार प्रयास करें.....
कार्यक्रम की बढ़िया रिपोर्ट एवं चित्र के लिए आभार॥
नमस्ते सर जी .
बढ़िया रिपोर्ट...
कार्यक्रम बहुत सुन्दर था, कविताजी के सम्मान में।
बहुत अच्छा लगा इस कार्यक्रम के बारे में जान कर। कविता जी को सुनना तो हमेशा ही आनंददायी रहता है। अगर प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग की गयी हो तो कविता जी की कही बातें हमें विस्तार में बताने का कष्ट करें आभार्।
कविता जी को कोटिशः बधाई और हिंदी के लिए इतना चिंतित और सजग रहने के लिए हार्दिक साधुवाद।
डॉ. कविता वाचक्नवी जी को बधाई.
घुघूती बासूती
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