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सोमवार, 28 सितंबर 2009

!!विजयपर्व मंगलमय हो!!



''सर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं |
जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं ||
भुजदंड सर कोदंड फेरत रुधिर कण तन अति बने |
जनु रायमुनीं तमाल पर बैठीं बिपुल सुख आपने ||''
[रामचरितमानस,लंकाकांड]
~~~ विजया दशमी पर्व पर
~~~~~~ सपरिवार शुभकामना
~~~~~~~~~ स्वीकार करें !!!!!!!!!!
>ऋषभ
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1 टिप्पणी:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

विजयदशमी की समस्त परिजनों को शुभकामनाएं सरजी॥