काणे भगत जी का ओजपूर्ण प्रवचन चल रहा था - स्त्री मोह है, स्त्री माया है, स्त्री नरक का द्वार है।
अचानक चपला जी उठीं और झूमती-झामती जाकर काणे भगत जी की गोद में गिर पड़ीं।
काणे भगत जी का सुर बदल गया - स्त्री शक्ति है और शक्ति के बिना तो शिव भी अधूरे रहते हैं!
पहली पंक्ति में बैठा रिसर्चर तोताराम हक्का-बक्का देखता रह गया। [26/4/2017]
अचानक चपला जी उठीं और झूमती-झामती जाकर काणे भगत जी की गोद में गिर पड़ीं।
काणे भगत जी का सुर बदल गया - स्त्री शक्ति है और शक्ति के बिना तो शिव भी अधूरे रहते हैं!
पहली पंक्ति में बैठा रिसर्चर तोताराम हक्का-बक्का देखता रह गया। [26/4/2017]
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें