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शुक्रवार, 12 मई 2017

काणे भगत की स्त्री चेतना

काणे भगत जी का ओजपूर्ण प्रवचन चल रहा था - स्त्री मोह है, स्त्री माया है, स्त्री नरक का द्वार है।
अचानक चपला जी उठीं और झूमती-झामती जाकर काणे भगत जी की गोद में गिर पड़ीं।
काणे भगत जी का सुर बदल गया - स्त्री शक्ति है और शक्ति के बिना तो शिव भी अधूरे रहते हैं!

पहली पंक्ति में बैठा रिसर्चर तोताराम हक्का-बक्का देखता रह गया। [26/4/2017]



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