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रविवार, 11 मई 2014

सुदूर मणिपुर में हिंदी

पुस्तक समीक्षा : ऋषभ देव शर्मा
सुदूर मणिपुर में हिंदी
-      ऋषभ देव शर्मा

मणिपुर पूर्वोत्तर की सात बहनों में अपनी साहित्यिक-सांस्कृतिक संपदा के कारण विलक्षण है. यहाँ हिंदी के प्रचार-प्रसार, सृजन और विस्तार की गाथा भी उतनी ही विलक्षण है. इस अनेक उतार चढ़ावों से भरी गाथा को डॉ. अरिबम ब्रजकुमार शर्मा ने ‘हिंदी को मणिपुर की देन’ (2014) में बेहद ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरे हिंदी जगत के सामने रखा है. स्मरणीय है कि उनके के पिता पं. अरिबम राधामोहन शर्मा को मणिपुर में हिंदी प्रचार आंदोलन की शुरूआत का श्रेय प्राप्त है. अपने पिता के मार्ग का अनुसरण करते हुए डॉ. ब्रजकुमार शर्मा ने भी हिंदी सेवा को ही जीवन का लक्ष्य बनाया और साथ ही मणिपुर के हिंदी साहित्य और पत्रकारिता से भी जीवंत रूप से जुड़े रहे. इस ग्रंथ को उनकी हिंदी साधना का नवनीत भी कहा जाए तो अत्युक्ति न होगी.

स्मरणीय है कि भिन्न-भिन्न समाजों के पारस्परिक संबंध उनकी भाषाओं में रचे गए साहित्य और अनुवाद में पहचाने जा सकते हैं. अब इसमें पत्रकारिता-भाषाई पत्रकारिता भी जुड गई है. इससे समाजों के आधुनिक ताने-बाने को पहचानना अधिक आसान हो गया है. एक दूसरा तथ्य यह है कि किसी भाषा को आतंरिक शक्ति जहाँ उसके अपने मूल समाज से मिलती है वहीं उस समाज से भी मिलती है, जो उसे आर्थिक या सांस्कृतिक कारणों से अपना लेता है. मणिपुरी समाज ने हिंदी भाषा को वही शक्ति प्रदान की है. भारतीय जनता की सामान्य अभिव्यक्ति की भाषा बनने का संदर्भ हो अथवा राष्ट्रभाषा का स्तर पा लेने वाली भाषा का, हिंदी को दोनों ही रूपों में मणिपुरी समाज ने शक्तिशाली बनाया है.

डॉ. अरिबम ब्रजकुमार शर्मा ने अपनी इस पुस्तक में मणिपुर के हिंदी साहित्य और हिंदी पत्रकारिता का जो विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया है, उससे पता चलता है कि मणिपुरी भाषा के समृद्ध पारंपरिक रूप तथा समर्थ रचनात्मक चेतना से हिंदी अनेक रूपों में लाभान्वित हुई है. लेखक ने जितना अपनी ओर से कहा है, उतना ही ऐतिहासिक तथा उपलब्ध साहित्यिक स्रोतों का सहारा भी लिया है. यह तुलनात्मक दृष्टि से सच तक पहुँचने का सही मार्ग है. लेखक का श्रम सराहनीय भी है, फलदायी भी.
हिंदी को मणिपुरी की देन / 
अरिबम ब्रजकुमार शर्मा /
2014/ यश पब्लिकेशंस,
1/11848 पंचशील गार्डन,
नवीन शाहदरा, दिल्ली – 110 032 /
पृष्ठ – 304/  मूल्य – रु.895

भास्वर भारत/ मई 2014/ पृष्ठ 61  

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