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शनिवार, 10 अगस्त 2013

भैरव प्रसाद गुप्त : परिचय

प्रेमचंदोत्तर हिंदी कथा साहित्य के जन-प्रतिबद्ध कथाकारों में भैरव प्रसाद गुप्त [जन्म : 7 जुलाई 1918, सिवानकलाँ, बलिया, उत्तर प्रदेश - निधन :  7 अप्रैल 1995, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश] का नाम अविस्मरणीय है. उन्होंने मौलिक उपन्यास, कहानी, नाटक, एकांकी तथा रेड़ियो नाटकों की रचना के साथ ही अनुवाद और संपादन के क्षेत्र में भी नाम कमाया.

इलाहाबाद से स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा अर्जित करने वाले भैरव प्रसाद गुप्त ने अपना कैरियर दक्षिण भारत में हिंदी प्रचारक के रूप में आरंभ किया. सन् 1938 से सन् 1940 तक वे मद्रास स्थित हिन्दी प्रचारक महाविद्यालय' में कार्यरत रहने के बाद 1942 तक त्रिच्चिराप्पल्ली में अध्यापन किया और वहीं  
आकाशवाणी  में भी सेवाएँ दीं। ‘भारत छोडो’ के दौर में उन्हें सेंट्रल आर्डनेंस डिपो, कानपुर में काम करना पड़ा। आगे चलकर सन् 1944-1954 की अवधि में आपने माया,  मनोहर कहानियाँ और  मनोरमा  नामक पत्रिकाओं का संपादन किया. तदनंतर वे कहानी' (1954-1960) और ‘नई कहानियाँ'(1960-1963) के संपादक रहे. आगे भी स्वतंत्र लेखन के अतिरिक्त वे 1974se से 1980 तक मित्र प्रकाशन, इलाहाबाद के परामर्शदाता रहे.

मुहब्बत की राहें (कहानी संग्रह, 1945) और शोले (उपन्यास, 1946) से आरंभ भैरव प्रसाद गुप्त की सृजनयात्रा उनकी अंतिम सांस तक अनवरत चलती रही. उनकी अंतिम कृति ‘छोटी सी शुरुआत’ (1997) का प्रकाशन उनके निधन के बाद हुआ. वे सच्चे अर्थों में प्रेमचंद के उत्तराधिकारी कथाकार थे क्योंकि उन्होंने ग्रामजीवन की समस्याओं और नगरजीवन  की जटिलताओं पर एक जैसी प्रामाणिकता के साथ कलम चलाई. संपादक के रूप में उन्होंने समयसापेक्ष चिंतन और सृजन को सदा प्राथमिकता दी और नई कहानी आंदोलन को मंच प्रदान किया. गहरी लोकसंपृक्ति ने उनके उपन्यासों को आंचलिकता के रंग दिए तो प्रगतिशील चिंतन ने उनके पात्रों को जनप्रतिबद्धता और संघर्षधर्मिता के गुण बख्शे.

विविध विधाओं में रचित उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-

उपन्यास :  शोले, मशाल, गंगा मैया, जंजीरें और नया आदमी, सतीमैया का चौरा, धरती, आशा, कालिंदी , अंतिम अध्याय, नौजवान, एक जीनियस की प्रेमकथा, सेवाश्रम, काशी बाबू, भाग्य देवता, अक्षरों के आगे, मास्टरजी, छोटी सी शुरुआत.
कहानी संग्रह : मुहब्बत की राहें, फरिश्ता, बिगड़े हुए दिमाग, इंसान, सितार का तार, बलिदान की कहानियाँ, मंज़िल, आँखों का सवाल, महफिल, सपने का अंत, मंगली की टिकुली, आप क्या कर रहे हैं.
नाटक और एकांकी : चंदबरदाई, कसौटी.
अनुवाद :  माँ, काँदीद, कर्कशा, चेरी की बगिया, ड़ोरी और ग्रे, बुलबुल, हमारे लेनिन, मालवा, माओ-त्से-तुंङ ग्रन्थावली.

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