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शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

काव्य पाठ: 'मृत्यु आती है'

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अन्त वही है,
शान्त तृप्त हो,
वरण करेंगे।

RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्मा ने कहा…

@प्रवीण पाण्डेय

वरण करे वह
जब चाहे जैसे जी चाहे,
हमको तो प्रस्तुत रहना है
चलने को तत्पर
सन्नद्ध;

चिर स्वतंत्र वह
हम उसके अनुगामी.

Suman ने कहा…

बढ़िया रचना भी और काव्य पाठ भी.
अच्छा लगा !