साहित्य : सृजन और समीक्षा
अन्त वही है,शान्त तृप्त हो, वरण करेंगे।
@प्रवीण पाण्डेयवरण करे वह जब चाहे जैसे जी चाहे, हमको तो प्रस्तुत रहना है चलने को तत्पर सन्नद्ध;चिर स्वतंत्र वह हम उसके अनुगामी.
बढ़िया रचना भी और काव्य पाठ भी. अच्छा लगा !
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अन्त वही है,
शान्त तृप्त हो,
वरण करेंगे।
@प्रवीण पाण्डेय
वरण करे वह
जब चाहे जैसे जी चाहे,
हमको तो प्रस्तुत रहना है
चलने को तत्पर
सन्नद्ध;
चिर स्वतंत्र वह
हम उसके अनुगामी.
बढ़िया रचना भी और काव्य पाठ भी.
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