साहित्य : सृजन और समीक्षा
दादाजी की प्यारी दीक्षा,हौले से मुस्काती दीक्षा।
बिछड़ना कितना दुखद होता है और वह भी ऐसे सुंदर नाती-पोतों से.... घायल की गति घायल ही जाने :(
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दादाजी की प्यारी दीक्षा,
हौले से मुस्काती दीक्षा।
बिछड़ना कितना दुखद होता है और वह भी ऐसे सुंदर नाती-पोतों से.... घायल की गति घायल ही जाने :(
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