ऋषभ उवाच
साहित्य : सृजन और समीक्षा
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मंगलवार, 28 सितंबर 2010
हिंदी की शक्ति का रहस्य जनभाषा होने में निहित
पावरग्रिड का राजभाषा सम्मेलन संपन्न
हैदराबाद| राजभाषा कार्यान्वयन नीतियों के अनुपालन विषयक कार्यक्रमों के अंतर्गत पावरग्रिड , दक्षिण क्षेत्र
-1 [सिकंदराबाद,आंध्रप्रदेश]
में राजभाषा सम्मलेन का आयोजन पर्याप्त उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ. पावरग्रिड ने इसके माध्यम से यह प्रदर्शित करने का प्रयत्न किया कि ''ऐसे प्रयासों के कारण आज हमारे कर्मचारी राजभाषा कार्यान्वयन के प्रति पूर्णत
:
जागरूक हैं और अपना अधिकाधिक कार्य हिंदी में करने व वार्षिक कार्यक्रम के लक्ष्यों को पूरा करने में प्रयत्नरत हैं । हमारी यह कोशिश रही है कि कार्यान्वयन के क्षेत्र में प्राप्त संतोषजनक स्थिति से प्रेरित होकर हम कर्मचारियों के मन में हिंदी की ओर एक प्रतिबद्धता का वातावरण पैदा करें
,
ताकि हिंदी में काम करते समय आनेवाली कठिनाइयों को आसानी से पार करते हुए
,
यांत्रिकता को छोडकर
,
मौलिक व गुणात्मक कार्य करने में सक्षम बन सके । इस से उन के कार्य में सुगमता मिले और अन्यों के लिए मार्गदर्शक भी बनें ।''
इंजीनियरिंग स्टाफ कालेज ऑफ इंडिया
,
हैदराबाद
में आयोजित किए गए इस राजभाषा सम्मेलन में
बी
.
एस
.
परशीरा
,
आई
.
ए
.
एस
,
सचिव
,
राजभाषा विभाग
,
गृह मंत्रालय
,
भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में पधारे ।
सम्मेलन में पावरग्रिड के विभिन्न कार्यालयों के कर्मचारी एवं
अन्य
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों
के अधिकारियों ने
बडी संख्या में
प्रतिभागियों
के रूप में भाग लिया
।
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में राजभाषा कर्यान्वयन से संबंधित विभिन्न विषय रखे गए जैसे
-
राजभाषा
कार्यान्वयन
की नीति
के
मुख्य बिन्दु
,
राजभाषा कार्यान्वयन में आनेवाली चुनौतियाँ एवं समाधान
,
राष्ट्र की राजभाषा बनने में हिंदी भाषा की क्षमताएं
,
राजभाषा हिंदी की वर्तनी समस्या एवं समाधान
,
हिंदी के विकास में तकनीकी क्षेत्र का योगदान एवं यूनीकोड फांट्स
,
राजभाषा हिंदी में तकनीकी कामकाज को सरल कैसे बनाएं
,
हिंदी भाषा की विभिन्न साहित्यिक प्रवृत्तियां – एक नजर
,
हिंदी कविता साहित्य का उद्भव एवं विकास
,
हिंदी में प्रशासनिक एवं तकनीकी शब्दावली का प्रयोग
,
राजभाषा कार्यान्वयन – अनुपालन से प्रतिबद्धता की ओर । इन विषयों पर प्रकाश डालने हेतु बी
.
डी
.
एल से होमनिधि शर्मा
,
प्रबंधक
(
राजभाषा
),
हिंदी शिक्षण योजना से राम सिंह शेखावत
,
प्राध्यापक
,
सी
.
आर
.
रामचंद्रन
,
सहायक
निदेशक
(
सेवा निवृत्त
),
उच्च शिक्षा और शोध संस्थान
,
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा से डॉ. ऋषभदेव शर्मा
,
आचार्य एवं अध्यक्ष
,
डॉ
.
बलविंदर कौर
, प्राध्यापक
,
इरिसेट
,
द
.
म
.
रेल्वे से ए
.
के
.
मंडल
,
हिंदी अधिकारी
,
पावरग्रिड
,
उ
.
क्षे
-2,
नई दिल्ली से वेंकटेश कुमार
,
प्रबंधक
(
सूप्रौ
),
केंद्रीय हिंदी संस्थान से डॉ
. शकुंतला रेड्डी
,
प्रोफेसर एवं क्षेत्रीय निदेशक
,
डॉ
. अनीता गांगुली
,
,
बीजेआर गवर्नमेंट डिग्री कालेज
से डॉ घनश्याम शर्मा
,
रीडर
,
हिंदी विभाग, संकाय सदस्यों के रूप में उपस्थित हुए ।
इस अवसर पर प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने अपने व्याख्यान में विस्तार से हिंदी भाषा की विकासयात्रा के साथ जुड़े भारतीय समाज के परिवर्तनों और हिंदी साहित्य के विभिन्न युगों के आतंरिक सम्बन्ध पर प्रकाश डालते हुए यह प्रतिपादित किया कि हिंदी की शक्ति का स्रोत इसके व्यापक जनभाषा होने के तथ्य में निहित है तथा इसी गुण के कारण वह संपूर्ण भारत की संपर्क भाषा और भारत संघ की संवैधानिक राजभाषा है.
इस
सम्मेलन
के
आयोजन
द्वारा राजभाषाकर्मियोंको एक ऐसा मंच मिला,
जहां उन्होंने इस विषय में चर्चा व विचार
-
विमर्श कर
एक
-
दूसरे के अनुभव का लाभ उठाया
और हिंदी को सकारात्मक
रूप
से अपने कार्यों में और गइराई से शामिल कर
ने की उम्मीद जताई
।
सत्राध्यक्षों के रूप में पावरग्रिड से वी
.
शेखर
,
महाप्रबंधक
(
परियोजना
-1),
आर
.
सुभ्भलक्ष्मी
,
अपर महाप्रबंधक
(
मानव संसाधन
),
कार्यान्वयन कार्यालय
(
दक्षिण
),
बेंगलूर से अजय कुमार श्रीवास्तव
,
उप निदेशक
(
कार्यान्वयन
),
ए
.
आर
.
आर
.
सी
.
आई से डॉ पी
.
के
.
जैन
,
वैज्ञानिक
-
ई
,
एन
.
एम
.
डी
.
सी से विजय कुमार
,
सहायक महाप्रबंधक
(
राजभाषा
) ने
भाग लिया । हर सत्र के अंत में सत्राध्यक्ष ने विषय की समीक्षा की और प्रतिभागियों ने अपने
-
अपने विचार व्यक्त किए । इसके अलावा सत्र के विषय पर प्रतिभागियों से प्रश्न पूछा गया और सही जवाब देनेवालों को पुरस्कृत किया गया । इससे सभी प्रतिभागी अत्यंत उत्साहित हुए.
कार्यक्रम के अंत में के
.
एस
.
पी
.
राव
,
मुख्य प्रबंधक
(
राजभाषा
)
ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।
1 टिप्पणी:
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
ने कहा…
एक अच्छॆ सम्मेलन में योगदान के लिए बधाई स्वीकारें॥
28 सित॰ 2010, 3:07:00 pm
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1 टिप्पणी:
एक अच्छॆ सम्मेलन में योगदान के लिए बधाई स्वीकारें॥
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