1. भाषा एक साथ बहुत कुछ है. 
वह-
संप्रेषण की एक बहुमुखी व्यवस्था है,सोचने-विचारने का माध्यम है,सर्जनात्मक अथवा साहित्यिक अभिव्यक्ति का कलात्मक साधन है,एक सामाजिक संस्था है,
राजनैतिक विवाद का सार्वकालिक मुद्दा है तो
किसी देश को एकता के सूत्र में बांधने और उसके विकास का जरिया भी है.
                                           .[दिलीप सिंह, भाषा का संसार, पृष्ठ 9]
2. भाषा = एक विशिष्ट मानव व्यवहार : संप्रेषण के निमित्त 
संप्रेषण : भाषा का प्रयोग करके क्या करना चाहते हैं/ परपज.           क्यों / नीड.           प्रसंग/ रेफरेंस, कॉन्टेक्स्ट.           मनोदशा /मूड.         विषय / थीम, टॉपिक . [हैलिडे]
3.  मनुष्य 
=  सामाजिक प्राणी
= बोलने वाला प्राणी
= बातचीत करने वाला प्राणी /होमोलोगन
= लिखने वाला प्राणी
  4.       .सर्जनात्मक वृत्ति  : शैली 
सहवाग ने पांच चौके जड़े / मारे.
धोनी ने रनों की झड़ी लगा दी / ढेर सारे रन बनाए.
मोहन की बात में दम था/ ठीक थी.
वह मुँह बाए देखता रहा / कुछ नहीं समझा.
 5.        अर्थ : प्रतीक और बिंब 
अर्थ शक्यता / मीनिंग पोटेंशियल
कमल-पंकज = सौंदर्य/ कोमलता/ शुभ
धुआँ = निराशा/ अनिश्चय
बादल= अनुभूति की सघनता/ वेदना
लालिमा = क्रोध/ लज्जा
  6.        भाषा : लचीलापन 
संभावनाओं का पुंज
-         पारिस्थितिक संदर्भ/ कॉन्टेक्स्ट ऑफ़ सिचुएशन
-         सांस्कृतिक संदर्भ / कल्चरल कॉन्टेक्स्ट
  7.  पराभाषाविज्ञान / पैरालिंग्विस्टिक्स
         -         मुद्रा/आसन :
टेबल पर पैर पसारना [दीवार]/
आगे झुकना/
पीछे टिकना/
कोहनी टेबल पर/
ओंठ बिचकाना/
आँख मिलाना 
-         अंगविक्षेप/ जेस्चर :
तेजी से बदलाव : नैनन ही सों बात 
-         काकु/ उतार-चढ़ाव :
 फुसफुसाकर/
भर्राई आवाज़/
 जोर से/
 कलपते हुए/
 झल्लाते हुए/
 क्क्क्कक्क्क किरन
   8.  भाषा प्रकार्य / फंक्शन्स : हैलिडे
1.        साधनपरक INSTRUMENTAL : चाहिए/ चाहता हूँ/ करूँ/ देखूं/ इच्छा है कि...
2.       नियंत्रक REGULATORY : देखो, दौड़ो, खाओ, पकड़ो, चलो.
स्वामित्व- दूसरों की चीज़ नहीं छूनी चाहिए.
धमकी – अगर फिर गाली दी तो पीटूंगा.
नियम – सिगरेट पीना मना है.
चेतावनी – घास पर न चलें.
सुझाव- अधिक से अधिक भाषाएँ सीखनी चाहिए
.3.       अंतःक्रियात्मक INTERACTIONAL : बातचीत, मज़ाक, हँसी उड़ाना, मनाना, तर्क करना, सहमति-असहमति जताना.
4.       व्यक्तिगत PERSONAL : निजता: भाव, विचार, आकांक्षा
5. अन्वेषणात्मक  HEURISTIC : जानना, समझना, प्रश्न-उत्तर
6.       कल्पनात्मक IMAGINATIVE : अपनी दुनिया अपना परिवेश – रचना/ कहानी, कविता, अनुमान, प्रतीक
.7.       प्रतिनिधानात्मक REPRESENTETIONAL :  प्रयोजनमूलक : कार्यालय, विज्ञान, समाचार, विज्ञापन.... 
9.  संस्कृति 
1.        मानव के द्वारा सृजन – साहित्य, संगीत, कला, ...
2.       भाषा, प्रथा, संस्कार : शिष्टाचार, आचरण, धर्म, सदाचार, मूल्य-व्यवस्था.
 10.  भाषा और संस्कृति
जॉन लायंस : क्योंकि भाषा समाज-संदर्भित होती है, इसलिए  भाषा व्यवहार को उस भाषा की विशिष्ट सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में संदर्भित किए बिना स्पष्ट नहीं किया जा सकता . 
लोक संस्कृति  : हिंदी/ मणिपुरी/ अरुणाचली/ पंजाबी/ तमिल/ तेलुगु...
धर्म और संस्कृति : हिंदू/ मुस्लिम ....
राष्ट्रीय संस्कृति : भारतीय/ चीनी/  ब्रिटिश......
11.  सर्वनाम प्रयोग
पद, अवस्था और अधिकार  का सूचक
आयु और लिंग के अनुसार भी परिवर्तन
परस्पर मेलजोल, घनिष्ठता, भावनात्मक एकता,  औपचारिकता  का द्योतक
मैं/ हम : रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप होते हैं और नाम है शहंशाह!
तू/ तुम/ आप  : पहले जाँ, फिर जाने जाँ, फिर जाने जानाँ हो गए !
 माँ/ भगवान : माँ! तू कहाँ गई थी? /
हे भगवान! अब तू ही रक्षा कर.
 आप : नाराजगी, व्यंग्य
आदरसूचक [ये] : यह/ये/वह/वे/वो  : ये तो घर पर नहीं हैं./ तुम बड़े वो हो!/
  12. रिश्ते-नाते 
विविध स्तर : रक्त संबंध, विवाह संबंध, वंश संबंध
पति-पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन
संयुक्त परिवार
निर्भरता और दायित्व
  13.  संबोधन  : शिष्टाचार 
औपचारिक संबोधन : स्तर भेद : अपरिचय : स्त्री-पुरुष
आत्मीय संबोधन : कहाँ के हो, भैया?/  गोरखपुर का, अम्मी!/ मेरा बेटा जिंदा होता तो तुम्हारे जैसा ही हुआ होता, भैया! आज तुमने अम्मी कहा तो लगा मेरा बेटा ही पुकार रहा है. [ रामदरश मिश्र, दूसरा घर]
अति आत्मीय संबोधन : पगली/ जी- एजी/ हुज़ूर-सरकार/
जातिपरक संबोधन : मिश्रा जी, मौलवी साहब
व्यवसायपरक संबोधन : मास्टर जी, नेता जी,
प्रथम नाम/ उपनाम
14.  अभिवादन और आशीर्वाद 
चरण स्पर्श/ पालागीप्रणाम/  नमस्ते/ नमस्कार/ दंडवत प्रणाम/ करबद्ध प्रणाम / सलाम
हाथ मिलाना/ आलिंगन : प्यार की झप्पी
आशीर्वाद / सिर सूंघना/ पीठ थपथपाना / सिर छूना
जीते रहो/ चिरंजीवी भव/ पुत्रवती भव/ सौभाग्यवती भव/ विजयी भव/ खुश रहो/ शुभकामना......
 संदर्भ – 
गुर्रमकोंडा, नीरजा : 2015 : अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान की व्यावहारिक परख : दिल्ली : वाणी
सिंह, दिलीप : 2007 :  भाषा, साहित्य और संस्कृति शिक्षण: दिल्ली : वाणी