ऋषभ उवाच
साहित्य : सृजन और समीक्षा
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शुक्रवार, 17 जून 2011
दीक्षा
पिछले हफ्ते हमारी प्यारी पोती दीक्षा हैदराबाद आई थी. बड़े भतीजे की बिटिया. कई दिन खूब मजे किए. वापस लौटने के वक़्त बाबा के साथ फोटो खिंचवाई. दादी, चाचू और बुआ के साथ तो पहले ही विधिवत फोटो-सेशन हो चुका था न.
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