अभी दसेक दिन के लिए चेन्नई जाना हुआ. कार्यशाला के समापन के अवसर पर तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी ने होली की पूर्व वेला में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के अय्यंगार हाल में कवि गोष्ठी रख ली.कई नए पुराने रचनाकार मित्रों से मुलाकात हुई.
आरंभ में प्रो.दिलीप सिंह ने सबका स्वागत किया.
रमेश गुप्त नीरद से परिचय २० साल पुराना है.उन्होंने उसी मस्त अंदाज़ में प्रेम गीत सुनाए.डॉ. मधु धवन तो संयोजक थीं ही.उनकी कविताएँ सीधी और हास्य का पुट लिए होती हैं. नए लोगों में एक चिकित्सक कवि थे. तरन्नुम में बढ़िया गज़लें पढीं उन्होंने. डॉ.सविता धुडकेवार की कविता में रुष्ट स्त्रीविमर्श दिखा तो डॉ.रविता भाटिया के गीत में दुखी नारीभाव. उषा दीक्षित को पहली बार सुना.उनके स्वर में सामाजिक व्यंग्य और सभ्यता समीक्षा काफी प्रखर हैं. पढ़ती भी खूब हैं.तेलुगुभाषी डॉ. भास्कर शर्मा तथा तमिलभाषी डॉ.वासुदेवन ने भी सामयिक व्यंग्य पढ़े . सभा के प्रधान सचिव सी एन वी अन्नामलई ने आशु कविता सुनाकर तालियाँ बटोरीं.
इस अवसर पर दिल्ली के डॉ. हीरा लाल बाछोतिया की चिंतनपरक कविताओं के साथ मनासा के डॉ.पूरन सहगल के लोकतात्विक नवगीतों को सुनना सचमुच आह्लादकारी रहा. अपुन को तो तेवरियाँ सुनानी पडीं - होली पर केंद्रित.