tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post586451924381840282..comments2024-03-26T08:59:04.807+05:30Comments on ऋषभ उवाच: वे अंतर्द्वंद्वों से अधिक अंतर्संबंधों में यकीन रखते थेRISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-60511814000433199422009-05-19T00:38:00.000+05:302009-05-19T00:38:00.000+05:30प्रसाद जी, सिद्धार्थ जी और कविता जी ,
इस आत्मीयता ...प्रसाद जी, सिद्धार्थ जी और कविता जी ,<br />इस आत्मीयता के लिए आभारी हूँ.<br />आपका ऋ,RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-11018367301228040582009-05-18T18:15:00.000+05:302009-05-18T18:15:00.000+05:30अंक सचमुच संकलन योग्य,पठनीय व संग्रहणीय बन पड़ा है।...अंक सचमुच संकलन योग्य,पठनीय व संग्रहणीय बन पड़ा है।<br />आपने इतनी तत्परता से पत्रिका पर अपनी सुचिन्तित राय दी व विशेषत: मेरे व पंडित जी के मध्य सम्पन्न हुई बातचीत के अंशों को इस प्रकार आरम्भ में उद्धृत करते हुए जो टीका की, तदर्थ अतिशय आभारी हूँ।Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-83037745467431685402009-05-18T07:33:00.000+05:302009-05-18T07:33:00.000+05:30आपने अन्तर्जाल के सुधी पाठकों तक इस विशेषांक की जा...आपने अन्तर्जाल के सुधी पाठकों तक इस विशेषांक की जानकारी रुचिकर ढंग से पहुँचाई, इसके लिए हार्दिक धन्यवाद। पंण्डित जी के रचना संसार पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ भी शीघ्र प्रकाशित होने जा रहा है। यह एक संग्रहणीय पुस्तक होगी।<br />(सिद्धार्थ)हिन्दुस्तानी एकेडेमीhttps://www.blogger.com/profile/03171684943410358559noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-47395710882400425442009-05-16T00:29:00.000+05:302009-05-16T00:29:00.000+05:30पं.विद्यानिवास मिश्र पर प्रकाश डालती विशेषांक पत्र...पं.विद्यानिवास मिश्र पर प्रकाश डालती विशेषांक पत्रिका पर अच्छी समीक्षा। डॊ. कविता वाचक्नवी सौभाग्यशाली रहीं कि उन्हें पंडितजी से साक्षातकार लेने का सौभाग्य मिला। अन्य विद्वजनों को आभार जिनके माध्यम से पंडितजी के जीवन को निकट से जानने का अवसर मिला।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com