tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post5573498236770164707..comments2024-03-26T08:59:04.807+05:30Comments on ऋषभ उवाच: (कविता का समकाल-2) नई कविता का पुनर्पाठ : राष्ट्रीयता का संदर्भRISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-15509681341725460602012-08-04T00:10:00.304+05:302012-08-04T00:10:00.304+05:30@प्रवीण पाण्डेय
प्रिय भाई,
मेरा तो मानना है कि तमा...@प्रवीण पाण्डेय<br />प्रिय भाई,<br />मेरा तो मानना है कि तमाम तरह के विचलनों के बावजूद हमारी कविता का मुख्य सरोकार सौ साल से राष्ट्रीयता ही है.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-42940770050442330102012-07-07T10:55:44.387+05:302012-07-07T10:55:44.387+05:30राष्ट्रीयता के आकाश में इतने प्रभावी शब्द-तारे छाय...राष्ट्रीयता के आकाश में इतने प्रभावी शब्द-तारे छाये हुये हैं...प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com