tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post5057690487377666485..comments2024-03-26T08:59:04.807+05:30Comments on ऋषभ उवाच: विश्व साहित्य एवं अनुवाद : हिंदी का संदर्भRISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-44566536706667879982011-11-21T00:48:32.986+05:302011-11-21T00:48:32.986+05:30@प्रवीण पाण्डेय
@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद
सही बात.
...@प्रवीण पाण्डेय<br />@चंद्रमौलेश्वर प्रसाद<br /><br />सही बात. <br />असली सरोकार तो जुड़ने और जोड़ने का है.<br />पर तोड़ने वाली ताकतें प्रतिपल चुनौती देती खडी हैं.<br /><br />टिप्पणी के लिए आभार.RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-36462963044468293192011-11-15T18:34:54.236+05:302011-11-15T18:34:54.236+05:30अच्छा अनुवाद दुनिया को जोड़ता है और बुरा अनुवाद सा...अच्छा अनुवाद दुनिया को जोड़ता है और बुरा अनुवाद साहित्य को तोड़ता है!चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-73523647450796653282011-11-15T09:45:05.034+05:302011-11-15T09:45:05.034+05:30साहित्यिक एकता के प्रयासों में अनुवाद का योगदान बढ...साहित्यिक एकता के प्रयासों में अनुवाद का योगदान बढ़ता ही जायेगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com