tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post2043157596882886213..comments2024-03-26T08:59:04.807+05:30Comments on ऋषभ उवाच: याद आता रहा सर्वेश्वर का 'सुहागिन का गीत'RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-32312432139061990812012-06-11T19:17:05.450+05:302012-06-11T19:17:05.450+05:30उदासी और खिन्नता साहित्यिक रूप ले ले तो भी स्वीकार...उदासी और खिन्नता साहित्यिक रूप ले ले तो भी स्वीकार है..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-47663473094505914912012-06-11T00:27:33.885+05:302012-06-11T00:27:33.885+05:30इस पोस्ट को पढने के बाद जो मेरे मन में आया सादर सम...इस पोस्ट को पढने के बाद जो मेरे मन में आया सादर समर्पित :<br />लगता है कवि ह्रदय होने का ही परिणाम है कि आप अधिक संवेदनशील हैं. आप किसी भी बात की, प्रतिक्रया भी तुरंत देते हैं. ऐसा न होने पर बेचैन रहते हैं. अपने साथियों की, मित्रों की प्रसंसा करते नहीं थकते. सकारात्मक सोच आपको अन्यों से अलग करती है. जहाँ जाएंगे पारिवारिक वातावरण बनाएँ, यह आपकी खूबी है. मेरी इस बात को सर्वेश्वर की ही पंक्तियों से स्पष्ट करने का प्रयास कर रहा हूँ, आशा है मैं सही दिशा में हूँ: <br />" कौन कह रहा बंजारों-सा यह जीवन बेकार है<br />मैं सबका हूँ सब मेरे हैं, सबसे मुझको प्यार है.<br />चाँद और तारों की छत है<br />दिशा-दिशा दीवार है,<br />सारी धरती मेरा आँगन <br />पूरब-पश्चिम द्वार है,<br />बहुत बड़ी जिम्मेदारी है बहुत बड़ा परिवार है,<br />सबके हित मधुकरी हमारी, सबके लिए सितार है."डॉ.बी.बालाजीhttps://www.blogger.com/profile/10536461984358201013noreply@blogger.com