tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post1796144762222049862..comments2024-03-26T08:59:04.807+05:30Comments on ऋषभ उवाच: प्रेम, कहानी, चमेली और चर्चाRISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-28806097131224886052011-01-29T05:21:53.829+05:302011-01-29T05:21:53.829+05:30@cmpershad
जी, यह नाम बरबस मकदूम मोइनुद्दीन साहब...@cmpershad <br /><br />जी, यह नाम बरबस मकदूम मोइनुद्दीन साहब की याद दिलाता ही है. आपने इशारा सही पकड़ा. थैंक्स!RISHABHA DEO SHARMA ऋषभदेव शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09837959338958992329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4143480273526923647.post-21187017406777984362011-01-19T23:06:52.729+05:302011-01-19T23:06:52.729+05:30`मुझे तो अपने हैदराबाद की दक्खिनी शायरी की व्यंजन...`मुझे तो अपने हैदराबाद की दक्खिनी शायरी की व्यंजना का बोध होता है.] '<br /><br />हां जी, हमे तो ‘इक चमेली के मण्डवे तले’ कविता याद आ गई। प्रेम पर चर्चा तो सदियों से होती आई है और सदियों तक चलती रहेगी... शायद तब तक कि जब तक चमेली के मण्डवे सजते रहे :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com